शिमला, 31 जुलाई : कोरोना काल में प्रतिकूल हालातों में ड्यूटी देने वाली प्रदेश की आशा वर्करों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आशा वर्करों ने सरकार को चेतावनी दी है कि हमें काम के बदले सरकार दाम दे वरना पूरे प्रदेश में काम बंद होगा। शिमला में आज प्रैस वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश आशा वर्कर की अध्यक्ष सत्या रांटा ने कहा कि आशा वर्करों के लिए ड्यूटी का समय भी तय नहीं है। सुबह से लेकर शाम तक 35 किलोमिटर तक आशा वर्कर काम पर दौड़ती रहती है। अगर कई बार काम पूरा ना हुआ तो फिर अधिकारियों की डांट सुननी पड़ती है।
पहले भी एक बार डयूटी के दौरान एक महिला गिर गई थी, जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी। वहीं एक महिला की मानसिक तनाव में आने के चलते मौत हुई है। आशा वर्करों के लिए ड्यूटी का समय तय किया जाना चाहिए।
आशा वर्करों का कहना है कि सरकार द्वारा एक महिने में मोबाइल रिचार्ज करने के लिए 150 रूपए दिए जाते है, लेकिन सरकार को यह भी पता होना चाहिए कि आज के समय में 120 रूपए का कौन सा रिचार्ज होता है। आशा वर्कर मोबाइल रिचार्ज करने के लिए भी अपने पैसे खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि आशा वर्करों को मात्र एक दिन के 60 रूपए मिलते है। सरकार द्वारा काम इतना सौंपा दिया है कि आशा वर्कर एक दिन में पूरा भी नहीं कर सकती है। एक आशा वर्कर सुई से लेकर डॉक्टर तक का काम कर रही है। फिर भी 2 हजार रूपए में गुजारा करना पड़ रहा है। इसके अलावा उन्हें 1500 से 1600 के करीब सेंटर से इनसेंटिव मिलता है। इतने कम वेतन में आशा वर्करों का गुजारा नहीं हो पा रहा है।
6 मार्च को प्रदेश सरकार ने वेतन में 750 रूपए की वृद्धि की थी, लेकिन यह भी अभी तक नहीं मिला हैै। सत्या रांटा का कहना है कि सरकार द्वारा आशा वर्करों के काम की सरकार सराहना तो कर रही है, लेकिन उन्हें कितनी परेशानियां झेलनी पड़ रही है, इसका उन्हें पता नहीं है। प्रदेश भर में 7 हजार 964 आशा वर्कर काम कर रही है। अगर कोई आशा वर्कर घर से बाहर डयूटी के दौरान खाना भी खा लेती है तो भी 70 रूपए में मिलता है और सरकार द्वारा 60 ही रूपए दिए जाते है।