संगड़ाह, 30 जुलाई : 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े गांव सींऊ के ग्रामीण दोनों रज्जू मार्ग पर ऑपरेटर नियुक्त न होने से जान हथेली पर रखकर नदियां पार कर रहे हैं।
दरअसल गिरी व पालर नदी के बीच बसे इस गांव के लोग के लिए बरसात में यातायात का प्रमुख साधन दोनों नदियों पबने पारम्परिक रज्जू मार्ग अथवा तार झूले हैं। वर्ष 2019 मे इन दोनों रज्जू मार्ग की मरम्मत पर बीडीओ संगड़ाह के माध्यम से जहां 2 लाख 80 हजार का बजट खर्च हो चुका है, वहीं पिछले साल भी गरारियों व बैरिंग मे आई खराबी की मरम्मत हो चुकी हैं। ग्रामीणों के अनुसार गत वर्ष हालांकि पंचायत द्वारा यहां ओपरेटर की नियुक्ति की गई थी, मगर इस साल ऐसा नहीं किया गया।
रेणुका जी डेम के डूब क्षेत्र में आने वाले इ गांव की भूमि अधिग्रहण करने के सरकर द्वारा करीब 100 करोड़ का भुगतान किया जा चका है तथा नियमानुसार यहां पुल बनाने जैसा कोई भी निर्माण कार्य भी नहीं हो सकता। डेम निर्माण के लिए बजट उपलब्ध न होने के चलते अभी इस गांव का विस्थापन होना शेष है। उपायुक्त सिरमौर अथवा सरकार द्वारा हालांक विशेष प्रावधान कर यहां पालर खड्ड पर पुल के लिए करीब 10 ला का बजट उपलब्ध करवाया गया है, मग उक्त पुल तैयार हना शेष है।
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन तथ नेताओं से गांव के दोनों और लगे रज्जू मार्गों पर ऑपरेर की नियुक्ति की मांग की। यूं तो लोग इसे करोड़पतियों का गांव भी कहते है, मगर यहां रहने वाले दर्जन भर अनुसूचित जाति के परिवार ऐसे भी हैं जिनके नाम राजस्व रिकार्ड मे जमीन न होने के चलते उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला। संगड़ाह से सीऊं जाने वाली कच्ची सड़क बरसात में बंद हो जाती है तथा ऐसे में लोगों को तारों से बनी रस्सियों के ऊपर से जोखिम उठाकर गुजरना पड़ रहा है।
नदियों में बरसात का पानी ज्यादा होने के चलते इन दिनों पैदल अथवा तैरकर नदियां पार करना संभव नहीं है। कार्यवाहक बीडीओ संगड़ाह हरमश कुर ने कहा कि, रज्जू मार्गों के लिए ऑपरेटर नियुक्ति का काम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आता है। चायत सचिव दीपराम शर्मा ने कहा कि, झूला ऑपरेटर के लिए कटेश आमंत्रित की गई है तथा इसी गांव के रहने वाले संगड़ा पंचायत के उपप्रधान को भी इस बारे ग्रामवासियों से चर्चा करने को कहा जा चुका है।