नाहन, 30 जुलाई : चंद सप्ताह पहले जब हिमाचल के जननायक राजा वीरभद्र सिंह का निधन हुआ तो दिवंगत शख्सियत की ऊंट पर बैठे तस्वीरें भी वायरल हुई। ये वो ‘‘भेड़ों’’ गांव है, जहां पहुंचने के लिए दिवंगत वीरभद्र सिंह ने बतौर सीएम अपनी दूसरी पारी में ऊंट (Camel) का इस्तेमाल किया था। हालांकि नवंबर 2015 में जब वो दोबारा इस गांव में आए तो उन्हें नेशनल हाईवे (National Highway) से संपर्क मार्ग पर भेड़ों तक पहुंचने के लिए ऊंट का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा, क्योंकि वो अपने वादे के मुताबिक गांव तक सड़क का निर्माण करवा चुके थे।
याद रहे कि इस गांव के लोग ऊंट पालने के शौकीन हैं। हिमाचल में शायद ये ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहां ऊंट पाले जाते हैं। कुछ साल पहले एक ऊंटनी को भी राजस्थान से प्रशासन के द्वारा लाया गया था। ऊंटनी ने बच्चे को भी जन्म दिया। मगर गांव की बदकिस्मती देखिए, लंबे अरसे से इस सड़क को अनदेखा किया जा रहा है। हालांकि कुछ अरसा पहले सड़क को पक्का करने की औपचारिकताएं (Formalities) तो पूरा कर दी गई, लेकिन सफर को सुरक्षित (Safe) बनाने का प्रयास नहीं हुआ।
ग्रामीणों को महसूस होता है कि अगर 2017 में भी वीरभद्र सिंह को ही सूबे की कमान मिली होती तो आज ये दिन न देखने पड़ते। ग्रामीणों की मानें तो भेड़ों से शंभूवाला तक पहुंचने के लिए रोजाना हजारों लोगों को पैदल ही सफर करना पड़ता है। शायद ये यकीन करना हर किसी के लिए मुश्किल होगा कि मुख्यालय के समीप ये स्थिति है, वो भी तब जब भाजपा के तेजतर्रार नेता डॉ. राजीव बिंदल बतौर विधायक अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं।
Watch Video : https://youtu.be/0e7JQoU9Mio
आपके जहन में होगा सवाल….
निश्चित तौर पर खबर की शुरूआती पंक्तियां पढ़कर आपके जहन में सवाल उठ रहा होगा कि भई उस गांव में ऐसा क्या हो गया। दरअसल, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने सड़क का निर्माण तो करवाया, लेकिन बरसात के दौरान इस संपर्क मार्ग पर लगातार लैंड स्लाइड (Land Slide) होता है। इस गांव के सीधे-सादे लोगों का व्यवसाय दूध उत्पादन (Milk Production) से जुड़ा हुआ है। वो दूध को बेचने रोजाना नाहन आते हैं। अब इस सड़क की हालत ऐसी हो चुकी है कि बाइक भी नहीं चलती, क्योंकि भूस्खलन के कारण सड़क पर मलबे के साथ-साथ बोल्डर (boulder) गिरे हुए हैं।
2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गांव में ही स्कूल का दर्जा माध्यमिक से बढ़ाकर सीनियर सैकेंडरी (Senior Secondary) कर दिया था। 2017 के चुनाव से पहले उन्होंने अपने वादे को निभा भी दिया था। सड़क पर पैदल चलने का मतलब है कि अपने प्राणों को हथेली पर रखना, क्योंकि जानें कब किधर से भूस्खलन हो जाए।
ये भी जुड़ी बात…
सिरमौर के मुख्यालय से मात्र 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भेड़ों गांव अपने में एक अलग इलाका है। गुज्जर समुदाय के लोग अमूमन सामान्य जीवन से अलग-थलग रहने के आदी हैं। यह अलग बात है कि कुछ अरसे से बदलाव आए हैं। मातर व भेड़ों गांवों में शिक्षकों के नियमित तौर पर जाने से भी ये लोग जीवन की सामान्य धारा में शामिल हो रहे हैं। दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस गांव से विशेष लगाव था। यही कारण था कि शिक्षा व सड़क से जोड़ने के वायदे को निभाने में पल भी नहीं लगाया।
बनाया गया वीडियो…
चूंकि अब इलाके में बाहर के लोगों की भी आवाजाही होने लगी है, लिहाजा सड़क की खस्ताहालत से जुड़ा वीडियो भी सामने आया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को ये वीडियो मिला है, इसमें साफ जाहिर है कि शंभूवाला से भेड़ो तक के संपर्क मार्ग पर पैदल चलना भी किस कद्र जोखिम भरा है। खैर, उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही विभागीय नींद टूटेगी। हिमाचल के जननायक के पंसदीदा गांव की सड़क को दुरुस्त कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।