कुल्लू, 29 जुलाई : मणिकर्ण घाटी की ब्रह्मगंगा में आई बाढ़ से हुई तबाही का मंजर रोशन लाल और तेंजिन दावा ने अपनी आंखों से देखा। तबाही सामने थी, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। बाढ़ के पंजे से वह महिला और बच्चे को नहीं बचा पाए।
मणिकर्ण निवासी रोशन लाल का कहना है कि सुबह करीब 6 बजे का समय था, जोर-जोर की आवाजें सुनाई दे रही थी। इसी बीच पता चला कि नदी में बाढ़ आ गई है तो उन्होंने घर से निकलकर सुरक्षित स्थान की ओर भागने की कोशिश की। उनकी बहू पूनम अपने 4 वर्षीय बेटे को पीठ पर उठाकर भागने की कोशिश कर रही थी कि ऊपर से भारी मलबा और लकड़ी आ गई और पलक झपकते ही बहू और पोता निकुंज मलबे में खो गए…लेकिन मैं कुछ नहीं कर पाया। बताते-बताते रोशन लाल का गला रुंध गया।
रोशन लाल ने बताया कि यह मेरा दुर्भाग्य रहा कि मैं उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाया और कुदरत के इस कहर ने मुझे मौका तक नहीं दिया। जबकि एक अन्य ग्रामीण तेंजिन दावा का कहना है कि वह हर दिन की तरह सुबह पांच बजे जाग गया था, बारिश हो रही थी। इसी दौरान करीब 6 बजे के आसपास जोर-जोर से आवाजें होने लगी। मुझे आभास हुआ कि नदी में बाढ़ आई है, जिसके चलते मैंने गांव वासियों को जोर-जोर से आवाजें लगाई और गांव छोड़ने के लिए कहा।
गांव में अफरा-तफरी मच चुकी थी और लोग भाग रहे थे। मैं भी भाग रहा था। इसी बीच पूनम अपने छोटे बच्चे के साथ हमारी आंखों के सामने तेजी से आए मलबे में समा गई। उन्हें बचाने के लिए हम कुछ कर पाते इतना समय ही नहीं मिल पाया। उनका कहना है कि गांव के करीब 5 मकानों में पानी और मलबा घुस गया है, जिस कारण लोगों को गांव से भागकर जान बचानी पड़ी है। लिहाजा, बाढ़ के बाद गांव के ये मकान छोड़कर लोग दूसरे सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।
हादसे के बाद जिला प्रशासन और राजस्व विभाग की टीमें मौके पर मुआयना करने के लिए पहुंची और नुकसान का आकलन करने में जुट गई है। प्रशासन की ओर से हादसे के शिकार हुए तीन के परिजनों को 10-10 हजार रुपए फौरी राहत के तौर पर प्रदान किया है, जबकि दिल्ली के गाजियाबाद निवासी युवती के परिजनों को हादसे की सूचना दी गई है और परिजनों के कुल्लू पहुंचने पर उन्हें फौरी राहत दी जाएगी। जबकि अभी तक इस घटना में बहे चार में से एक का भी शव बरामद नहीं हुआ है।