शिमला, 25 जुलाई : 2017 से 2021 के बीच भूस्खलन (landslide) की बड़ी त्रासदियां (tragedies)जुलाई व अगस्त के महीनों में ही हुई हैं। बावजूद इसके इन महीनों में पर्यटन (Tourism) की गतिविधियां जारी रहती हैं। लैंड स्लाइड वाली साइटस पर सैंसर स्थापित करने को लेकर आईआईटी मंडी ने शोध (research) भी किया था।
हिमाचल ने महज 13 दिन के भीतर दो भयानक (Horrible) भूस्खलन देख लिए हैं। फिलहाल बोह त्रासदी के जख्म (wound) सूखे भी नहीं थे कि किन्नौर त्रासदी से 9 परिवारों के सदस्यों की आंखों से लगातार आंसू बह रहे हैं। हालांकि प्राकृतिक आपदाओं के लिए पूरी तरह सरकार को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन ये जरूर है कि अगर मंडी-पठानकोट मार्ग पर कोटरोपी हादसे के बाद लैंड स्लाइड की चेतावनी (Warning) के लिए सैंसर लग सकते हैं तो इसे प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी लगाया जाना चाहिए।
13 अगस्त 2017 की उस रात का जिक्र आते ही हर किसी के रोंगटे (goosebumps) आज भी खडे़ हो जाते हैं, जहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस को ही भूस्खलन ने अपनी चपेट में ले लिया था। 16 जुलाई 2019 में सोलन के कुम्हारहट्टी मे भूस्खलन के कारण एक रेस्टोरेंट ताश के पत्तों की तरह ढह गया। इसमें असम रेजीमेंट के 13 जवानों की मौत हो गई थी, जबकि एक सिविलियन ने भी दम तोड़ दिया था। इन दो हादसों में 62 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी थी।
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जुलाई व अगस्त के महीनों में अगर भूस्खलन से नुकसान की बात की जाए तो छोटे-मोटे हादसों में जानी नुकसान भी हो जाता है। मगर हिमाचल ने चार साल के चार हादसों में 82 अनमोल जीवन (precious life) चले गए।
किन्नौर हादसे में तो ये सवाल जस का तस बना हुआ है कि जब कुदरत (Nature) ने ही शनिवार को छितकुल-सांगला मार्ग पर ठीक इसी जगह चेतावनी भी दे दी थी तो भी सावधानी (Caution) क्यों नहीं बरती गई। उम्मीद (expectation) की जानी चाहिए कि आने वाले वक्त में भूस्खलन की घटनाओं से अनमोल जीवन को बचाने के लिए राज्य सरकार ठोस कदम उठाएगी। इसमें वैज्ञानिक स्टडी के अलावा सैंसर की उचित व्यवस्था हो जाएगी।
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा कि ऐसे इलाकों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण की आवश्यकता है। जबकि एक ने लिखा, अंतरिक्ष के एस्ट्राॅयड धरती (asteroid earth) पर टकराने की बात तो सुनी थी, लेकिन आज धरती के एस्ट्राॅयड साक्षात धरती के लिए विनाशकारी (destructive) हो रहे हैं। एक ने लिखा, कुदरत के साथ छेड़खानी महंगी पडेगी, हम विकास के नाम पर विनाश (Destruction) कर रहे हैं। एक यूजर ने बिजली परियोजनाओं को भी विनाशकारी बताया। अधिकांश यूजर्स ने प्रकृति से छेड़छाड़ को आज की घटना का नतीजा (Result) बताया है।