शिमला, 20 जुलाई : हिमाचल के कांगड़ा के बोह त्रासदी (Boh Tragedy) की सरवाइवर (Survivor) 8 वर्षीय अवंतिका की सेहत में सुधार हो रहा है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही अपने घर लौट आएगी। बहादुर बेटी की सलामती (wellness) को लेकर हर कोई दुआ कर रहा है। करीब 12 घंटे तक मलबे में दबे होने के बावजूद भी नन्ही बच्ची विचलित (distracted) नहीं हुई।
घर पर मलबा गिरते ही कुछ सेकेंड में ही उसकी 8 साल की बहन वंशिका ने लोगों के अलावा अपने टीचर को फोन कर हादसे की सूचना दे दी थी। यही वजह थी कि तुरंत ही रेस्क्यू ऑपरेशन (rescue Operation) तो शुरू हो गया, लेकिन परिवार को मलबे से निकालने में कई घंटे लग गए। वंशिका के पिता पहले ही कह चुके हैं कि वो तो मौत का ही इंतजार कर रहे थे, मगर जब वंशिका की आवाज सुनी तो साहस आ गया था।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के महासचिव केवल सिंह पठानिया मंगलवार को अवंतिका से मिलने पीजीआई (PGI) चंडीगढ़ पहुंचे, तब स्वास्थ्य को लेकर जानकारी सामने आई। अवंतिका की बाजू का ऑपरेशन हुआ है। टांग में प्लास्टर लगा हुआ है। अवंतिका की बाजू व टांग में चोट पर उसे पीजीआई रैफर किया गया था।
आप इस बात का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं कि एक नन्ही जान के दिल पर उस समय क्या गुजर रही होगी, जब चारों तरफ मलबे का ढेर हो। ऐसे हालात में एक बच्ची जहां साहस रखकर सूझबूझ से रेस्क्यू (Rescue) के लिए मदद जुटाए तो वो वास्तव में एक बहादुर बेटी है। 12 जुलाई की सुबह बोह गांव की जल प्रलय में एक शख्स ऐसा भी था, जिसने 22 लोगों की जान बचाने के लिए अपनी व परिवार के प्राणों की आहूति दे दी। उम्मीद की जानी चाहिए कि कांगड़ा प्रशासन जल्द ही अवंतिका के उपचार के लिए जरूरी इम्दाद (intent) तो मुहैया करवाएगा। साथ ही उसकी 8 साल की बहन वंशिका के नाम का अनुमोदन राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए किया जाएगा।
बता दें कि तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची वंशिका अपनी बहन व माता-पिता के साथ मलबे में फंस गई थी। होश पर काबू रखकर वो सोचती रही कि ऐसे हालात में क्या करना चाहिए। चूंकि फोन हाथ में था, इसलिए उसने अपने शिक्षक सुरेंद्र से संपर्क कर लिया। यही वजह थी कि रेस्क्यू टीम के पहुंचने से पहले ही गांव वाले परिवार को बचाने में जुट गए थे। गौरतलब यह भी है कि इस त्रासदी का रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार को अंतिम शव मिलने के बाद बंद हो गया।
उधर, कांग्रेस के महासचिव केवल सिंह पठानिया ने परिवार की आर्थिक इम्दाद भी की है। साथ ही पूरी तरह से स्वस्थ होने पर अपने निजी वाहन में घर तक लाने का वादा भी किया है। बता दे कि मौत को करीब देखकर विचलित न होने वाली वंशिका स्वस्थ है जो माता -पिता के अस्पताल में दाखिल होने के बाद से अपनी नानी के घर पर है।
कुल मिलाकर अगर अवंतिका मौत के सामने देखकर हौसला छोड़ देती तो निश्चित तौर पर जिंदगी की डोर भी हाथ से छूट जाती।