शिमला, 19 जुलाई : हिमाचल पुलिस महकमा विकसित देशों की पुलिस की तर्ज पर मार्डन बनने की कवायद कर रहा है। इसके लिए संगीन अपराधों की जांच को पेशेवर तरीके से पूरा किया जाएगा। डीजीपी संजय कुंडू ने सोमवार को शिमला प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में कहा कि स्कॉटलैंड यार्ड की तर्ज पर पुलिस विभाग हिमाचल में भी एक मॉडल स्थापित किए जाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसके तहत पेचीदा मामलों की जांच में फॉरेंसिक और सांइटिफिक तकनीकी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
हिमाचल में कांस्टेबल के 1350 पदों की लंबित भर्ती पर डीजीपी ने कहा कि इसके लिए प्रदेश सरकार की अधिसूचना का इंतजार किया जा रहा है। कैबिनेट ने अभी कांस्टेबल भर्ती के नियम अधिसूचित नहीं किए हैं। सरकार जैसे ही अधिसूचना जारी करेगी, उसके एक माह में पदों को विज्ञापित किया जाएगा। डीजीपी ने कहा कि कांस्टेबलों के पदों को बढ़ाने का प्रस्ताव भी सरकार को भेजा गया है।
नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए ठोस कदम उठाए है। ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वालों की फाइनैंशियल इंवेस्टीगशन भी करवाई जा रही है। करीब 15 करोड़ से अधिक की सम्पति अटैच भी की जा चुकी है। जिला कुल्लू में 15 और कांगड़ा जिला में 5 मामलों के तहत संपति अटैच की गई है। पुलिस विभाग ईडी के साथ गैर कानूनी ढंग से अर्जित की गई संपति को अटैच कर रहा है। उन्होंने कहा कि अन्यों राज्य भी अब इसी दिशा में कदम उठा रहे है। इससे तस्करों में भी खौफ देखने को मिला है और कहीं तस्कर अपने बोरी बिस्तर बांध चुके है।
पुलिस जवानों की डाइट मनी बढ़ाने और कांस्टेबलों को 8 साल के बदले अन्य नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर 3 साल बाद सभी वित्तिय लाभ दिए जाने का मामला भी सरकार के समक्ष उठाया जा चुका है।
संजय कुंडू ने कहा कि समाज के विकास और उत्थान में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया देश के मुख्य मुद्दों को जनता के समक्ष लाता है। आज के दौर में मीडिया बहुत शक्तिशाली अंग बन गया है और ये समाज में नैरेटिव (आख्यान) सेट करता है।
शिमला प्रेस क्लब एक शक्तिशाली संगठन है, जो कि प्रदेश का नैरेटिव सैट करता है। प्रदेश को आगे ले जाने में प्रेस क्लब भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, क्योंकि प्रेस क्लब में मीडिया के कई माइंड जुड़े होते हैं।
संजय कुंडू ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से सोशल मीडिया का प्रचलन तेजी से बढ़ा है और इसके सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पहलू ये है कि सोशल मीडिया में तुरंत फीडबैक मिल जाती है। हालांकि 80 फीसदी फीडबैक नकारात्मक और 20 फीसदी फीडबैक सकारात्मक होती है।
सोशल मीडिया की सकारात्मक फीडबैक से पुलिस विभाग को अपने प्रदर्शन को आंकने और इससे पुलिस की कार्यशैली में सुधार लाने में मदद मिलती है। डीजीपी ने कहा कि एक साल पहले प्रदेश पुलिस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म टविटर पर 12 हजार फोलोवर थे, जो अब बढ़कर 20 हजार हो गए हैं।