शिमला, 18 जुलाई : हिमाचल की राजनीति में कोटखाई व जुब्बल निर्वाचन क्षेत्र की एक बड़ी भागीदारी रही है। दो बार सीएम बने दिवंगत रामलाल ठाकुर 9 बार चुनाव जीते। वहीं, 6 बार के सीएम वीरभद्र सिंह भी इस हलके से पहली बार उप चुनाव में 1983 में निर्वाचित हुए थे। 1985 में भी वीरभद्र सिंह कोटखाई व जुब्बल से चुनाव जीत गए थे।
1990 से पहले इस हलके में कांग्रेस की सियासत मजबूत रही। 1990 में जनता दल के टिकट पर दिवंगत रामलाल ठाकुर की जीत के बाद से ही कांग्रेस विरोधी दलों ने भी अपने पांव जमाने शुरू कर दिए। 1998 में जब नरेंद्र बरागटा जीते तो धूमल सरकार में उन्हें बागवानी मंत्री का ओहदा मिला।
खैर, इस हलके में कांग्रेस ने पहले ही पार्टी के शीर्ष नेता रहे स्व. रामलाल ठाकुर के वंशज रोहित ठाकुर को उत्तराधिकारी बना लिया था। अब भाजपा भी परिवार से ही पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन को टिकट देने के संकेत दे रही है। शुक्रवार को सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस हलके के दौरे के दौरान चेतन बरागटा के ही अगले प्रत्याशी होने के साफ संकेत दे दिए हैं।
लिहाजा, ये साफ तौर पर जाहिर होता नजर आ रहा है कि उप चुनाव सियासी घरों के वंशजों के बीच ही होने जा रहा है। गौरतलब है कि पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के आकस्मिक निधन के बाद ये विधानसभा सीट रिक्त घोषित हुई है। चुनाव जीतने वाले को 2022 में दोबारा चुनाव में उतरना पड़ेगा।
ये भी अहम…
कांग्रेस के रोहित ठाकुर को राजनीति में दाखिल हुए करीब-करीब 10 साल का वक्त हो चुका है। जबकि चेतन बरागटा को शुरूआत करनी है। पिता के बाद रोहित का मुकाबला उनके (नरेंद्र बरागटा) बेटे चेतन से होने की संभावना है। 2012 में रोहित ने 29,219 वोट हासिल कर चुनाव जीता था, जबकि नरेंद्र बरागटा को 20,124 मत प्राप्त हुए थे। 2017 में नरेंद्र बरागटा ने 27,466 वोट हासिल कर चुनाव जीत लिया था। वहीं, मात्र 1062 मतों के अंतर से रोहित ठाकुर चुनाव हार गए थे। रोहित को 26,404 वोट हासिल हुए थे।
ये भी काफी हद तक तय है कि भाजपा इस हलके में चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएगी। कुल मिलाकर पार्टी प्रत्याशियों के आधिकारिक ऐलान के बाद इस हलके की सियासत गर्मा जाएगी। ऐसी पूरी संभावना है कि सेब सीजन निपटते ही हलके में सियासत की खुमारी शुरू हो जाएगी।