शिमला, 16 जुलाई : भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद खाली हुई जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए सियासत गरमा गई है। जुब्बल-कोटखाई से दो बार कांग्रेस विधायक रहे व उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट के दावेदार रोहित ठाकुर ने शुक्रवार को शिमला आकर प्रदेश की सतारूढ़ भाजपा सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं।
जुब्बल कोटखाई का उपचुनाव यहां के लोगों के आत्म सम्मान का चुनाव है। उपचुनाव में जनबल और धन बल के बीच मुकाबला होगा। पिछले साढ़े तीन साल में भाजपा ने इस हल्के के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जुब्बल कोटखाई के भाजपा नेता शिमला शहर में राजनीति चमकाने में लग रहे।
रोहित ठाकुर ने भाजपा की सताधारी सरकार पर जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि बीते साढ़े तीन सालों में सरकार ने इस विधानसभा क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। हल्के में विकास के सभी कार्य ठप पड़े हैं। विधानसभा चुनाव से पूर्व की घोषणाओं को भाजपा की सरकार ने अमलीजामा नहीं पहनाया और इस हल्के के विकास को विराम लगा दिया। उन्होंने भाजपा सरकार पर जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र के प्रति भेदभाव का रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया।
रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 23 जनवरी 2019 को पीडब्लयूडी मंडल कोटखाई की अधिसूचना कर 19 पद सृजित किए थे, लेकिन अब तक मात्र एक ही पद भरा गया है। इसी तरह भाजपा सरकार ने वर्ष 2018 में कोटखाई के लिए कालेज और ट्रॉमा सेंटर की घोषणा की थी, जिसकी आज तक अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है।
रोहित ठाकुर ने भाजपा सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि सेंट्रल रोड फंड के तहत प्रदेश को 40 प्रोजेक्टों के लिए 941 करोड़ रूपये मिले, जिसमें मंडी जिला के सिराज और धर्मपुर को 509 करोड़ रूपये आबंटित हुए, जबकि जिला शिमला में चोपाल में बनने वाले एक पुल के लिए मात्र 8.37 करोड़ की राशि का आबंटन हुआ। इसके अलावा शिमला जिला को एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि इसी तरह पीएमजीएसवाई के तहत साढ़े तीन वर्षों में प्रदेश भर में 2293 करोड़ के 463 प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए, जिसमें जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र को एक भी प्रोजेक्ट नहीं मिला। नाबार्ड में भी जुब्बल कोटखाई का एक भी प्रोजेक्ट शामिल नहीं किया गया। भाजपा सरकार के शासन में ठियोग-हाटकोटी सड़क का 8 फीसदी कार्य भी अधर में लटका है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जुब्बल-नाबर-कोटखाई में तीन सीए स्टोर रद्द किए। ओलावृष्टि से बागवानों को हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई करने में भी सरकार नाकाम रही।