शिमला, 11 जुलाई : भारत सहित पूरी दुनिया में आजकल हरे पेड़ों को बचाने और वनों के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। हिमाचल के दिग्गज कांग्रेस नेता व छह बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने चार दशक पहले पेड़ों व वनों को बचाने की पहल करके इसे धरातल पर अंजाम दिया था।
हिमाचल के विकास पुरूष कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन प्रदेश के वनों को बचाने में उनकी भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। दशकों पहले उन्होंने अवैध वन कटान पर लगाम लगाते हुए वन माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
1983 में 49 वर्ष की आयु में जब वीरभद्र सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तो उस दौरान प्रदेश में व्यापक स्तर पर अवैध वन कटान चल रहा था। वन कटान के लिए शिमला जिला चर्चित था।
वीरभद्र सिंह ने न केवल वन माफियाओं पर नकेल लगाई थी, बल्कि भ्रष्ट वन अधिकारियों और आरा मिल मालिकों की लॉबी के बीच के गठजोड़ को भी तोड़ा था। उस दौर में अगर वन कटान नहीं रोका होता, तो हिमाचल के लिए ये घातक बन जाता।
वर्ष 1986 में वीरभद्र सिंह जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने वन संपदा के संरक्षण के लिए हरे पेड़ों के कटान पर ही प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल अस्सी के दशक में सेब की पैकिंग के लिए कार्टन बनाने के कार्य के लिए हरे पेड़ों को काटा जाता था और इससे बडे पैमाने पर वन संपदा भेंट चढ़ रही थी। जंगलों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने सेब सहित सभी प्रकार के फलों को गत्ते के बक्से में पैक करने का फैसला लिया था। वीरभद्र सिंह के इस दुरदर्शी व दूरगामी कदम से लाखों पेड़ों को बचाने में मदद मिली।
अपने आखिरी व छठे मुख्यमंत्री के कार्यकाल में वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में वन महोत्सवों को अधिक तवज्जो दी तथा हर वर्ष अधिक से अधिक पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा। 7 वर्ष पहले 2014 में वीरभद्र सिंह ने सोलन जिले के दुमहारी टिक्कारी गांव में राज्य स्तरीय पौधरोपण अभियान की शुरुआत करते हुए एक जनसभा में कहा था कि “जब राज्य में ’वन माफिया’ या अवैध कटाई बहुत सक्रिय थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुझे जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी थी और पूरे प्रदेश में हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।“
वीरभद्र सिंह का कहना था कि हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने से प्रदेश की आर्थिकी को नुकसान तो हुआ था, लेकिन खुशी की बात यह थी कि हमने लाखों पेड़ों को कटने से बचाया।