नाहन, 11 जुलाई : ग्रामीण राजपूत सभा के महासचिव नवीन ठाकुर ने राजा वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा , कि एक स्वर्णिम युग का अंत हुआ है। जिंदगी की असली कमाई दौलत से नहीं बल्कि अंतिम यात्रा में साथ चलने वाली भीड़ से मापी जाती है।
“राजा साहेब अमर रहें” के नारों ने यह साबित कर दिया कि वीरभद्र सिंह महज एक राजनीतिक नाम नहीं, बल्कि लोगों के जज्बातों से जुड़ा एहसास है। राजा वीरभद्र सिंह किलो के नही बल्कि दिलो के राजा थे। उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किया किया। जातिवाद व क्षेत्रवाद की राजनीति कभी नही की। राजा साहब ने राजनीती को नहीं चुना, राजनीती ने ही उनको चुना है।
इस उम्र में 2 बार कोरोना जैसी बीमारी को हराना बहुत बडी बात है। मौत भी असमंजस में थी कि राजा साहिब का होंसला उसके आगे फीका है, लेकिन समय को और इतिहास को शायद कुछ और ही मंजूर था, और साथ ही साथ रामपुर बुशहर रियासत के 123वें शासक टिक्का साहब से राजा साहब विक्रमादित्य सिंह बने।