हमीरपुर, 06 जुलाई : हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने गत दिवस दसवीं का परीक्षा परिणाम घोषित तो कर दिया, लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित होते ही कई सवाल भी खड़े हो गए। सवाल भी लाजमी हैं। परीक्षा परिणाम सही ढंग से घोषित किया गया है या नहीं? परीक्षा परिणाम को बनाते समय किन-किन पहलुओं पर नजर रखी गई है? क्या सभी बच्चों के साथ न्याय हुआ है? यह सभी प्रश्न परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद उठ रहे हैं।

इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के उपमंडल सुजानपुर में एक छात्र ने हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के बाद कोर्ट ने प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को दसवीं की मैरिट सूची जारी पर रोक लगा दी गई है।
उपमंडल सुजानपुर का ओजिस्वन महाजन कोरोना संक्रमित होने के चलते 13 अप्रैल को 10वीं के हिंदी विषय की परीक्षा नहीं दे पाया था। परीक्षा केंद्र में पहुंचा तो केंद्र अधीक्षक ने सेंटर में प्रवेश नहीं करने दिया था।
ओजिस्वन ने कहा कि वह पीपीई किट पहनकर परीक्षा देने के लिए तैयार था। परीक्षा केंद्र संचालक ने अन्य विद्यार्थियों की सेहत का हवाला दिया। इससे वह परीक्षा नहीं दे पाया। वह बोर्ड के दसवीं के परीक्षा परिणाम घोषित करने के फार्मूले से संतुष्ट नहीं है। बोर्ड ने दसवीं की हिंदी विषय की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर अन्य सात विषयों को पांच से गुना कर जिस आधार पर मैरिट सूची तैयार करने का फार्मूला तैयार किया है वह कोरोना संक्रमित होने के कारण परीक्षा से वंचित रहे विद्यार्थियों के हित में नहीं है।
इस फार्मूले के कारण परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत करने वाले विद्यार्थियों को सीधे 21 अंकों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता श्रवण डोगरा और अधिवक्ता संजीव सूरी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सोमवार को इस पर आपात सुनवाई हुई। न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए बोर्ड ने मेरिट सूची जारी करने पर रोक लगाई है। ओजिस्वन ने इस निर्णय के लिए हाईकोर्ट, अधिवक्ताओं श्रवण डोगरा, संजीव सूरी, स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन प्रो. सुरेश सोनी और सचिव अक्षय सूद का आभार जताया है।