शिमला, 3 जुलाई : वैसे तो हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) के इतिहास (History) में कई रोचक पन्ने (Interesting Chapter) जुडे़ हुए हैं। इसमें लेह-दिल्ली बस (Leh-Delhi Bus) सेवा भी शुमार है। मगर, शनिवार को निगम (Corporation) के इतिहास के पन्नों में दो नए अध्याय जुड़ गए हैं। 13940 फीट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रताल झील (Chandratal Lake) तक बस सेवा शुरू कर दी गई है।
ये उसी सूरत में संभव (Possible) हुआ है, जब निगम के बेड़े (fleet) में ऐसे होशियार व सूझबूझ वाले ड्राइवर मौजूद हैं, जो कठिन व खतरनाक (difficult and dangerous) सड़कों पर भी यात्रियों को अपने गंतव्य (destination) तक पहुंचाने में माहिर हैं। शायद ही ऐसी कल्पना की जाती होगी कि एक दिन चंद्रताल झील पर भी बस पहुंच जाएगी। इसके अलावा शनिवार को लाहौल-स्पीति के जिस्पा से दिल्ली वाॅल्वो बस (Volvo Bus) सेवा भी शुरू हो गई है। देश की सबसे लंबी दूरी की ये पहली वाॅल्वो बस सेवा है।
सूबे के तकनीकी, शिक्षा, जनजातीय, विकास व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ. रामलाल मार्केण्डेय ने इन बस सेवाओं को विधिवत हरी झंडी (Green Flag) दिखाकर रवाना किया। उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई को केलांग डिपो ने तकरीबन 21 महीनों बाद लेह-दिल्ली बस सेवा को भी बहाल कर दिया था। मंत्री ने कहा कि कुल्लू डिपो की वाॅल्वो बस सेवा अटल टनल (Atal Tunnel) से गुजरेगी।
उल्लेखनीय है कि रोहतांग दर्रे (Rohtang Pass) के कारण वाॅल्वो सेवा को शुरू नहीं किया जा सका था। मंत्री ने ये भी कहा कि निकट भविष्य में अन्य राज्यों की लंबी दूरी की अंतरराज्जीय बस (Inter State Bus) सेवाओं का भी केलांग तक विस्तार किया जाएगा। चंद्रताल झील तक जाने वाली बस वापस मनाली भी यात्रियों को कुछ ठहराव के बाद वापस लेकर लौटेगी। लाजमी तौर पर इस तरह की सेवाओं से पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा मिलेगा। निजी वाहनों में भारी राशि खर्च न करने वाले पर्यटक भी चंद्रताल झील जाने के सपने को साकार कर पाएंगे।
इन सेवाओं को जारी करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग (Online Booking) भी शुरू कर दी गई है। कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) ने ये भी बताया कि 4 जुलाई को त्रिलोकीनाथ से ताबो की बस सेवा को भी शुरू किया जा रहा है। अटल टनल के निर्माण से लाहौल घाटी में साल भर पर्यटकों की आवाजाही संभव हो गई है।
क्या है एचआरटीसी का इतिहास…
वैसे तो पहाड़ी प्रदेश में एक निजी कंपनी द्वारा 1960 में मंडी-पठानकोट के बीच पहली बस सेवा शुरू की गई थी। मगर आजादी से पहले मंडी रियासत के शासक द्वारा 1945-46 में मंडी-बैजनाथ रूट पर भी परिवहन सुविधा शुरू की गई थी। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम 24 सितंबर 1974 को वजूद में आया। 1958 से 1974 के बीच इसे मंडी-कुल्लू रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन के नाम से भी पहचाना जाता था। 2 अक्तूबर 1974 को एचजीटी की मैनेजमेंट को एचआरटीसी के सुपुर्द कर दिया गया था।