शिमला, 30 जून : हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा 29 जून 2021 को जारी संशोधित आदेशों, जिसमें 10+2 के परीक्षा परिणाम के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुरूप विद्यार्थियों को अनुतीर्ण अथवा कम्पार्टमेंट में भी रखा जाना है के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
विद्यालय प्रवक्ता संघ सिरमौर ने संशय व्यक्त किया है कि वार्षिक परिणाम हेतु निर्धारित मापदंड मुख्यत प्री-बोर्ड परीक्षा के 35% अंक दिया जाना सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए परेशानी वाला साबित हो सकता है। खास तौर पर दूरदराज क्षेत्रों में पहले ही छात्र नेटवर्क की समस्या, मोबाइल न होना अथवा नियमित डाटा रिचार्ज न करवा पाना जैसी अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। बिना नियमित कक्षाओं के आनन-फानन में हुई प्री-बोर्ड परीक्षा के सर्वाधिक अंक मिलने से इन छात्रों की मैरिट पर विपरीत प्रभाव पड़ना निश्चित है।
संघ ने चिंता जताई कि शिक्षक संघ एवं अभिभावकों के विरोध व बिना तैयारी के हुई इन परीक्षाओं में शायद ही कोई विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन कर पाया हो। साथ ही प्री-बोर्ड परीक्षाओं में परिणाम लाने के उद्देश्य से हुई सख्त मार्किंग भी वार्षिक परिणाम को प्रभावित करेगी।
प्रवक्ता संघ ने बोर्ड से निवेदन किया है कि 10वीं तथा 12वीं कक्षाओं के निरस्त होने के कारण बनी इस परिस्थिति में बिना परीक्षा के निकाले जा रहे परीक्षा परिणाम के मापदंडों पर पुनर्विचार किया जाए। संघ ने सुझाव दिया है कि 12वीं कक्षा की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की पिछले 2 वर्षो में एक मात्र 2019 में आयोजित हुई दसवी की परीक्षा ही उचित तरीके से हुई है, अत: प्री-बोर्ड परीक्षा के स्थान पर सर्वाधिक अंक 35% दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में अर्जित अंको के आधार पर दिए जाएं।
संघ के जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र पुंडीर, महासचिव आईडी राही, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेन्द्र नेगी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एम आर वर्मा, सलाहकार सतीश शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य राम गोपाल शर्मा सुरजीत सिंह पूर्व जिला अध्यक्ष रमेश नेगी पूर्व महासचिव संजय शर्मा आदि ने शिक्षा बोर्ड से त्रेमासिक परीक्षाओं एवं प्री-बोर्ड परीक्षाओं में अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों पर कोविड प्रमाणपत्र की शर्त को हटाने का भी आग्रह किया है। क्योंकि कोविड काल में परिस्थितियां इतनी विपरीत थी कि परिवार अथवा पड़ोस में भी कोविड केस आने से तथा परिवहन व्यवस्था बन्द होने के कारण कुछ विद्यार्थी इन परीक्षाओं में उपस्थित नहीं हो पाए।
परीक्षाओं में सभी अनुपस्थित एवं 33% से कम अंक लेने वाले उपस्थित विद्यार्थियों को इन कम्पोनेंटस में कम से कम 33% अंक अवश्य दिए जाएं। अन्यथा नियमित कक्षाओं के अभाव, उचित नेट्वर्क न होने, नियमित डाटा रिचार्ज न करवा पाने के कारण पहले ही मनोवेज्ञानिक दबाव झेल रहे इन विद्यार्थियों पर विपरित दबाव पड़ेगा, जिसके शारीरिक एवं मानसिक दुष्परिणाम सामने आएंगे।