ऊना, 28 जून : पिछले 10 साल से मां के आंचल को तरस रहे नोना को अंब पुलिस की मेहनत के चलते सोमवार को यह खुशनसीब घड़ी नसीब हो ही गई। एक दूसरे को गले मिलते ही मां और बेटे की आंखों से खुशी के मारे आंसुओं का सैलाब फुट पड़ा।

6 वर्ष की उम्र में राजीव उर्फ नोना बर्ष 2011 में अपनी मां नीना व पिता चंदन के साथ मैडी़ मेला में आया था और उसी दौरान यहां गुम हो गया था। जिसके बाद इसके परिजनों ने रंग थाना में इसकी गुमशुदगी दर्ज करवाई थी। कुछ दिन की तलाश के बाद इसके गुमशुदगी की फाइल भी इसी की तरह गुम हो गई थी जिस तरह की राजीव।
2014 में प्रदेश सरकार ने पुलिस को सभी गुमशुदा मामलों में एफआईआरदर्ज करने के आदेश जारी किए थे। जिसके बाद अम्ब पुलिस ने इसकी एफआईआर दर्ज करने के बाद 1 साल तक की। तलाश के बाद वर्ष 2015 में इस फाइल को एक बार फिर बंद कर दिया गया। वर्ष 2018 इस परिवार के लिए एक नई खुशी की दस्तक के साथ आया था जब गुरदासपुर के एक चिल्ड्रन होम ने डीसी ऊना को उनके पास एक गुमशुदा बच्चे के होने वह उसकी शिनाख्त करने का लेटर प्राप्त हुआ था।
इस लेटर को डीसी ऊना ने अंब थाना में भेज दिया था। जिसके बाद अंब पुलिस ने हैड कांस्टेबल फिरोज अख्तर, कांस्टेबल प्रदीप और लेडी कांस्टेबल सोनी की टीम गठित की थी। गुरदासपुर के चिल्ड्रन होम से मिली यह खुशी उस धुंधली किरण की तरह थी जिसको साफ होने में समय लगना था।दरअसल पुलिस को बच्चा तो मिल गया लेकिन अब पुलिस के सामने उसके मां बाप को ढूढ़ने की चुनौती थी।
नन्हा बच्चा नोना जब गुम हुआ था उस वक्त उसके परिजन दिल्ली में रहते थे। पुलिस जब नोना की जानकारी लेकर दिल्ली पहुंची तो पता चला कि वह दिल्ली से लुधियाना जा चुके थे। लुधियाना पहुंचने पर भी पुलिस को नोना के मां-बाप की बजाए उनके फिरोजपुर पर चले जाने का समाचार मिला।
अढाई साल की लंबी मशक्कत के बाद आखिरकार पुलिस ने नोना के परिजनों को फिरोजपुर से ढूंढ लिया। मां ने बेटे की शिनाख्त कर ली, मगर अब भी उन दोनों की बाहों के बीच चिल्ड्रंस होम की औपचारिकताओं की दीवार खड़ी हुई थी, जिससे 6 महीने के लंबे समय तक पूरा करने के बाद आखिरकार सोमवार को दोनों एक दूसरे के गले मिल सके।