सोलन, 23 जून : महज 25 साल की उम्र में यूपीएससी में 162वां रैंक लेने वाली कृतिका कुल्हारी अब सोलन की डीसी बन गई हैं। 2013 में पिता स्व. नरेंद्र सिंह कुल्हरी के पदचिन्हों पर चलते हुए इकलौती बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा में 162वां रैंक हासिल कर धमाल मचा दिया था। बिट्स पिलानी से बी टेक करने के बाद चाहती तो एमएनसी में आकर्षक पैकेज (attractive package) पर अपना कैरियर शुरू कर सकती थी।

आईएएस के 8 साल के कैरियर में बतौर उपायुक्त (Deputy Commissioner) पारी शुरू करने का मौका मिला है। बीटेक करने के बाद अगर एमएनसी में कैरियर शुरू करती तो इस समय पैकेज एक करोड़ के पार भी हो सकता था। पिता स्व. नरेंद्र सिंह कुल्हरी राजस्थान में सीनियर आरएएस अधिकारी थे। करीब तीन साल पहले जयपुर में अचानक ही उनका निधन (death) हो गया था।
बचपन से ही कृतिका अपने पिता की प्रशासनिक सेवाओं (administrative services) से ही प्रभावित थी। यही कारण था कि वो बखूबी इस बात को जानती थी कि प्रशासनिक सेवा में रहकर सीधे जनता से संवाद (conversation) स्थापित कर कुछ सार्थक किया जा सकता है। 2009 में भाई के निधन से भी परिवार को भी गहरा आघात (deep blow) पहुंचा था। इस सदमे (shock) से उबरने के बाद ही कृतिका यूपीएससी की परीक्षा क्रैक करने में सफल रही थी।
मूलतः राजस्थान के झुनझुनुवाला के सांगानी गांव की रहने वाली कृतिका ने बुधवार शाम उपायुक्त सोलन के तौर पर कार्यभार भी संभाल लिया है। आईएएस कृतिका ने प्रोबेशन अवधि को बिलासपुर व सिरमौर में पूरा किया है। हमीरपुर व नाहन में एसडीएम के पद पर कार्यरत रह चुकी हैं।
इसके अलावा ऊना की अतिरिक्त उपायुक्त, हिमऊर्जा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी व महिला एवं बाल विकास निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं। बुधवार को कार्यभार संभालने के तुरंत बाद एक्शन में भी नजर आई। तुरंत ही अधिकारियों की बैठक बुलाकर विकासात्मक कार्यों (developmental work) व कोविड की स्थिति का जायजा लिया। साथ ही कहा कि प्रदेश के तीव्रतम गति (top speed) से विकसित हो रहे सोलन जिला में निर्धारित मानकों के अनुरूप विकास कार्यों को गति प्रदान करना ही प्राथमिकता रहेगी।
उन्होंने कहा कि कोविड 19 से बचाव के लिए 100 प्रतिशत टीकाकरण की शीघ्र प्राप्ति के लिए वे कार्यरत रहेंगी।