शिमला, 22 जून : रोंगटे खडे़ कर देने वाली घटना हिमाचल की राजधानी के कृष्णानगर से जुड़ी हुई है। यहां मां सुरजीत कौर (60) व बेटे गौरव जसवाल की जांबाजी (Bravery) के समावेश से एक खूंखार मादा तेंदुए (female leopard) को काबू कर लिया गया। अगर मां अपने बेटे के साथ मिलकर इस मुसीबत का सामना न करते तो दो अनमोल प्राणों के अलावा एक बेजुबान (dumb) की जीवन खतरे में पड़ जाता।
सोमवार तड़के तीन बजे के आसपास अचानक ही टाॅमी ने भौंकना (bark) शुरू कर दिया। मां ने बेटे को आवाज लगाकर देखने को कहा तो गौरव एक खूंखार हमले से बेखबर बाहर निकल आया। जैसे ही टाॅमी की चेन पकड़ी, वैसे ही तेंदुए ने हमला कर दिया। गौरव ने भी कुछ देर तक तेंदुए से सीधी फाइट जारी रखी। इसी बीच 60 वर्षीय मां सुरजीत कौर ने बेहद ही सूझबूझ (prudence) से तेंदुए पर बगैर घबराहट (nervousness) के बिस्तर फैंक दिया। इसके बाद तेंदुआ बौखला गया। वो सीधा ही घर के बाथरूम में दाखिल हो गया।
गौरव की हिम्मत (courage) की दाद देनी होगी कि बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद भी उसने बाथरूम की कुंडी बाहर से लगा दी।
गहरे घाव….
खूंखार मादा तेंदुए के हमले में बुरी तरह से जख्मी गौरव को आईजीएमसी पहुंचने के लिए 108 एंबूलेंस उपलब्ध (available) नहीं हुई। वहां से जवाब मिला कि एंबूलेंस को सेनिटाइज (sanitize) नहीं किया गया है। अगर इसी हालात में चाहिए तो भेजी जा सकती है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम की जिप्सी में गौरव को सोमवार तड़के आईजीएमसी पहुंचाया गया।
वहां की विडंबना (irony) भी देखिए, गौरव को जूनियर डाॅक्टर्स (junior doctors) की मौजूदगी की वजह से सही ट्रीटमेंट (treatment) नहीं मिला। शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाया गया तो उन्हें दोबारा आईजीएमसी बुलाया गया। गौरव के सिर पर करीब 15 टांके लगे हैं, जबकि गर्दन के नजदीक भी 4 से 6 स्टिच लगे हैं।
ऐसे गया दबोचा…
आईजीएमसी (IGMC) से ट्रीटमेंट लेने के बाद जब गौरव घर वापस पहुंचे तो उस समय वन्यप्राणी विभाग (wildlife department) की टीम भी पूरी मुस्तैदी से तेंदुए को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू कर चुकी थी। बाथरूम की खिड़की से ट्रेंकोलाइजर गन (tranquilizer gun) का इस्तेमाल कर दो शाॅट चलाए गए। ये सुनिश्चित होने के बाद कि तेंदुआ अब बेहोश हो चुका है, उसे बाथरूम से रेस्क्यू किया गया।
रेस्क्यू किए गए तेंदुए को टूटी कंडी सैंटर भेजा गया है, जहां उसे निगरानी में रखा गया है। वाइल्ड लाइफ के डीएफओ (DFO) कृष्ण कुमार ने बताया कि घर में कुत्ते पर हमला करने के मकसद से तकरीबन साढ़े 3 साल की मादा दाखिल हुई थी।
ये बोले….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में गौरव जसवाल ने कहा कि आवाज आने पर बाहर निकलकर जैसे ही लाइट जलाई तो तेंदुए ने उस वक्त हमला कर दिया, जब वो टाॅमी के नजदीक (near) उसकी सुरक्षा को लेकर पहुंचे थे। गौरव ने कहा कि पहले तो उन्हें ऐसा लगा कि बिल्ली है, मगर पलक झपकते (Blink) ही पूरा मामला समझ आ गया था।
एक सवाल के जवाब में गौरव ने माना कि मामूली सी चूक या डर कई मुश्किलें (difficulties) पैदा कर सकता था। उनका कहना था कि तेंदुआ कुत्ते से कुछ दूरी पर ही खड़ा था। उनका कहना था कि घाव तो भर जाएंगे, लेकिन दिल को इस बात का सुकून है कि टाॅमी के प्राणों की रक्षा भी हो गई है। गौरव के मुताबिक बाथरूम का दरवाजा बाहर से बंद करने के बाद शोर मचने पर पड़ोसी भी मौके पर पहुंच गए थे।
इनका आभार…
परिवार को जहां इस बात का दंश है कि एंबूलेंस (ambulance) के अलावा पहली बार ट्रीटमेंट सही नहीं मिला, वहीं सदस्यों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि नगर निगम के डिप्टी मेयर ने तुरंत ही पूरे घर के अलावा आसपास के इलाके को सेनिटाइज (sanitize) करने को लेकर ठोस कदम उठाए, वहीं पुलिस व वन्यप्राणी विभाग की टीम मुस्तैदी से परिवार की मदद के लिए डटी रही।
कुल मिलाकर आम तौर पर कुत्ते अपनी वफादारी (loyalty) के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस घटना में ये शब्द विपरीत (opposite) साबित हुए हैं, क्यांेकि गौरव ने अपनी जान की बाजी लगाकर बेजुबान (Dumb) टाॅमी के प्राणों की रक्षा की है।