हमीरपुर, 18 जून : ठीक एक साल पहले युवा बेटे (young son) अंकुश ठाकुर ने गलवान घाटी (Galwan Valley) में मां भारती की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। लाल की पहली पुण्यतिथि पर बाबा बालक निस्वास्र्थ सेवा समिति के सौजन्य से कडोहता पीएचसी (PHC) में रक्तदान शिविर (Blood donation camp) आयोजित किया गया।
हर आंख (Eye) उस वीरांगना उषा रानी पर टिक गई, जिसने अपने बेटे की पहली पुण्यतिथि पर रक्तदान करने का फैसला लिया था। निश्चित तौर पर शहीद (Martyr) की मां की मानवता (Humanity) के प्रति ऐसी मिसाल समूचे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है। मां की आंखें नम थी, मगर बेटे की शहादत पर आंखों में गर्व (Proud) भी तैर रहा था।
बता दें कि अंकुश ठाकुर (Ankush Thakur) ने गलवान घाटी में शहादत को गले लगाया था। एक साल पहले चीन के साथ मुठभेड़ (Encounter) में अंकुश शहीद हुआ था। बेटे की स्मृति में आयोजित किए गए रक्तदान शिविर में उषा रानी को उम्मीद थी कि बेटे के लिए की गई घोषणाओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। मनोह के स्कूल का नाम शहीद अंकुश ठाकुर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला किया गया है। सड़क की घोषणा भी तकरीबन पूरी हो चुकी है। सम्मान में गेट भी निर्माणाधीन है।
बुधवार को आयोजित किए गए इस रक्तदान शिविर में मां की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, क्योंकि वो बेटे के सदमे से आज भी नहीं उबरी है। शहीद की मां का कहना था कि बेटे ने देश की रक्षा (Defense) के लिए अपना फर्ज (duty) निभाया। वो मानवता के प्रति अपना फर्ज निभा रही है। उन्होंने कहा कि वो बेटे की शहादत पर गर्व (Proud) महसूस करती है।
गौरतलब है कि कोविड (covid) संकट के दौरान राज्य के कई स्वास्थ्य संस्थानों (health institutions) में रक्त की किल्लत भी सामने आई थी। सामाजिक संगठनों द्वारा रक्तदान शिविरों के आयोजन का ऐलान किया गया था। कुल मिलाकर शहीद बेटे को जन्म देने वाली मां के इस जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए।