शिमला, 16 जून : हिमाचल के कांगड़ा स्थित गोपालपुर जू में शेरनी (lioness) अकीरा के शावक ‘‘हीरा और धीरा’’ जवान हो रहे हैं। निश्चित तौर पर कुछ समय बाद इन शावकों (Cubs) की दहाड़ (Roar) सिहरन (Shivering) पैदा करने वाली हो जाएगी। 22 नवंबर 2020 को जन्में शावकों की अठखेलियां हर किसी को खूब लुभाती हैं।
राज्य के वाइल्ड लाइफ महकमे (Wild Life Department) के लिए शावकों का जन्म एक खास मौका था। इसका कारण ये भी था, क्योंकि दशकों से राज्य में शेर (Lion) के शावकों की चुलबुलाहट देखने को नहीं मिल रही थी। एक जमाने में श्री रेणुका जी लाॅयन सफारी (Lion Safari) में शेरों की संख्या 29 तक पहुंच गई थी, लेकिन आज ये सफारी सुनसान है। सफारी में आंतरिक प्रजनन (Inbreeding) पर करीब-करीब अढ़ाई दशक पहले केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) ने प्रतिबंध (Ban) लगा दिया था। हालांकि इस सफारी से भी शेरों को गोपालपुर (Gopalpur zoo) भेजा गया था, लेकिन कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई थी।
लाॅकडाउन (Lock down) के दौरान ही वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा हैमल व अकीरा के जोड़े को गुजरात से लाया गया था। कोविड बंदिशों की वजह से पर्यटक व वाइल्ड लाइफ प्रेमी हीरा व धीरा के दीदार पूरी तरह से नहीं कर पा रहे हैं। उम्मीद है कि शावकों की अठखेलियां सैलानियों (Tourists) को कुछ समय बाद जमकर आकर्षित (Attract) करेंगी। रोचक (Interesting) बात यह है कि 7 मई 2021 को जब अनलाॅक (Unlock) हुआ था, ठीक उसी दिन इन शावकों (Cubs)को भी खुले में घूमने की आजादी (Independent) मिल गई।
बताते हैं कि नन्हें शावकों ने जू के स्टाफ (zoo Staff) को भी मोह लिया है। विभाग खुराक (Diet) का खास ध्यान रख रहा है। बकरे (Goat) के मीट के अलावा चिकन (Chicken) परोसा जा रहा है, साथ ही सीजैडए (CZA) के नियमों के तहत हीरा व धीरा भी एक दिन की फास्टिंग (Fasting) करते हैं।
ये हो रहे बदलाव….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के अनुसार वाइल्ड लाइफ विभाग जल्द ही अकीरा की शावकों के साथ अलग पिंजरे (Cage) की व्यवस्था कर रहा है, ताकि आपसी टकराव में हैमल शावकों को चोटिल न कर दे। हैमल की उम्र साढ़े 10 साल के आसपास है, जबकि अकीरा 6 बरस की होने वाली है। समय-समय पर शावकों के स्वास्थ्य की जांच (Medical Check Up) भी की जा रही है। बता दें कि शेरों का ये जोड़ा एशियाई प्रजाति (Asiatic lion) का है। इसी प्रजाति को रेणुका जी का वातावरण भी खूब भाया था।
ये रहा है इतिहास…
हिमाचल में शेरों का इतिहास (History) रेणुका जी सफारी से ही जुड़ा रहा है। अब गोपालपुर ने भी अपना स्थान बनाया है। 2017 में बंगाल के राॅयल टाइगर (Royal Tiger) को रेणुका जी लाने का प्रोेजैक्ट बना था, लेकिन ये बात अब तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। रेणुका जी में 70 के दशक में शेरों के जोड़े को गुजरात के जूनागढ़ से लाया गया था। 1999 में सफारी में शेरों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ था। शेरों की मौत की वजह आंतरिक प्रजनन (Inbreeding) था। स्पष्ट शब्दों में समझें तो एक ही जोड़े से पैदा शावकों द्वारा ही वंश को आगे बढ़ाया जा रहा था।
क्या बोले डीएफओ….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में हमीरपुर के वाइल्ड लाइफ डीएफओ (Divisional Forest Officer) राहुल राहणे ने कहा कि दोनों ही शावक स्वस्थ हैं। मई के महीने में इन्हें खुले में आने की अनुमति भी जारी की गई थी। डीएफओ ने कहा कि लंबे अरसे बाद शेर के जोड़े का प्रजनन हुआ है। डीएफओ के मुताबिक शावकों की उचित देखभाल के लिए कुछ नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। डीएफओ के मुताबिक मार्च के महीने में शावकों का नामकरण भी कर दिया गया था।