हरिपुरधार / सुरेंद्र चौहान : पर्यटन की दृष्टि देखा जाए तो चूड़धार अत्यंत रमणीय, सुंदर व आकर्षक स्थलों में एक है। यहां की प्राकृतिक वन संपदा व दुर्गम पहाड़ों की मनमोहक घाटियां सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। प्रकृति की गोद में बसी यह सुंदर चोटियां लोगों के जीवन पर खुशहाली और आस्था का भाव प्रकट करते हुए, उनके जीवन को सफल बनाने में मददगार साबित हुई हैं।
पिछले दो वर्षों से कोरोना काल में धार्मिक स्थलों में प्रतिबंध रहा। लेकिन धरातल पर स्थिति का आकलन किया जाए तो चूड़धार पर्वत श्रृंखला में प्रशासन की रोक के बावजूद भी चोटी पर लगभग हजारों यात्रियों ने भ्रमण किया और अपनी यात्रा मंगलमय बना दी। अनेकों युवाओं ने भोले बाबा के दर्शनों के लिए अपने डेरे चूड़धार की सुंदर वादियों में लगा रखें हैं।
आस्था की दृष्टि से यदि देखा जाए तो श्रद्धा भाव भोले शंकर के साथ जुड़ा हुआ एक धार्मिक पहलू है। लेकिन कोविड के संक्रमण का प्रोटोकॉल देखें तो खेद होता है। ऐसे में प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं।
शिमला व सिरमौर जनपद में स्थित चूड़धार धाम एक पावन व पवित्र स्थल है, जो आस्था की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस पावन पवित्र धाम में भगवान शिव के मानव अवतार शिरगुल महाराज का भव्य मंदिर और एक शक्तिशाली शिवलिंग प्रकट होकर विद्यमान है। शिव के दर्शनों के अभिलाषी लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था से भोले नाथ के शिखर पर पहुंचते है और अपनी मन्नत-मुरादें पूरी कर जाते है। विगत वर्षों से शिव धाम चूड़धार व हिमाचल प्रदेश के तमाम मन्दिरों व देव स्थलों में दर्शनों के लिए प्रतिबंध रहा और आस्था के सभी द्वार कोरोना की भेंट चढ़ गए।
कुपवी क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति व भंडारी वर्ग के समस्त महानुभाव ने बताया कि सरकार को अब मन्दिरों को लेकर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ताकी मन्दिरों के ऊपर निर्भर रहने वाले लोगों को भी राहत मिल पाए और वो भी अपनी आर्थिकी को पुनर्जीवित कर सकें। आस्था की दृष्टि से यह भी जरूरी है कि हम अपने जीवन में देव कृपा की अनुभूति उनके दिव्य दर्शनों से प्राप्त कर सकें जो लंबे अंतराल से बंद पड़े हुए हैं।