शिमला, 14 जून : हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के पालमपुर उपमंडल में 24 घंटे के भीतर पत्नी के बाद पति की मौत रहस्य (mystery) बन गई है। साथ ही पुलिस भी इस तरह की घटना से हैरत में है। विडंबना ये है कि दंपत्ति की मौत के बाद दो अबोध बच्चे (innocent children) अनाथ (Orphan) हो गए हैं। 3 व डेढ़ साल के मासूम बच्चों की मात्र तीन दिन के भीतर ही दुनिया उजड़ गई है। कोई करीबी भी नहीं था, जो उन्हें दुलार दे सकता।
11 जून की रात पुलिस ने मानवीय मिसाल (Humanity) पेश करते हुए बच्चों की सुपुर्दगी (Custody) लेडी कांस्टेबल को दी। यहां तक की गरीब परिवार के मासूम बच्चों को पुलिस ने ही जूते व कपड़े इत्यादि भी उपलब्ध करवाए। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (child welfare committee) के समक्ष पेश किया गया। अब इन बच्चों को राजधानी के शिशु गृह ( Child nursery) पहुंचा दिया गया है। पुलिस को उम्मीद है कि पोस्टमार्टम (Autopsy) व बिसरा रिपोर्ट ही मिस्ट्री (Mystery) को बेपर्दा करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो रहस्य एक रहस्य ही बनकर रह जाएगा।
ये पूरा ही मामला, हैरान कर देने वाला है। चूंकि 33 साल के नागेंद्र की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है, लिहाजा न्यायिक जांच (judicial investigation) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लाजमी तौर पर आपके जहन में कई तरह के सवाल पैदा हो गए होंगे कि आखिर हुआ क्या।
पत्नी की मौत…
11 जून 2021 की सुबह करीब 25 साल की रिंकी की मौत घर पर ही हो जाती है। 9 जून को महिला ने निजी अस्पताल में उपचार लिया। इसके बाद वो घर लौट आई। दो दिन बाद उसकी मौत हो जाती है। इसी बीच पुलिस को सूचना मिलती है कि मृतक महिला के पति ने उससे मार पिटाई की थी। पुलिस फौरन ही सबूत (evidence) जुटाने में लग जाती है।
चूंकि महिला के शरीर पर कोई गहरा घाव भी नहीं था, लिहाजा पुलिस को यह साफ नहीं हो रहा था कि वास्तव में महिला की मौत पिटाई से हुई है या नहीं। शुरुआती जांच में पुलिस पति के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लेती है। करीब 32 साल के नागेंद्र को गिरफ्तार (Arrest) कर लिया जाता है।
पति की मौत….
गिरफ्तार करने के बाद नागेंद्र को पुलिस मेडिकल के लिए पालमपुर अस्पताल ले गई। इस दौरान वो अजीब बर्ताव भी कर रहा था। पेशे से पेंटर नागेंद्र को अस्पताल में ही चिकित्सकों की निगरानी में रख दिया गया। लेकिन इसी दौरान नागेंद्र ने भी प्राण त्याग दिए। हर कोई इस बात पर स्तब्ध हो गया कि आखिर क्या हुआ होगा।
बता दें कि पुलिस को पति-पत्नी की मौत के कारणों को लेकर प्राथमिक राय (Primary Opinion) भी उपलब्ध नहीं हुई है। पत्नी की मौत को 24 घंटे भी नहीं बीते थे, पति की भी मौत हो चुकी थी। अब चूंकि मौत से पहले पुलिस उसे गिरफ्तार कर चुकी थी, लिहाजा नियम के मुताबिक न्यायिक जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ये बोले डीएसपी…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में पालमपुर के डीएसपी अमित शर्मा ने कहा कि फिलहाल दोनों की मौत की वजह को इस समय नहीं बताया जा सकता। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का भी इंतजार है। जबकि फाइनल ओपिनियन (Final Opinion) विसरा रिपोर्ट से ही मिलेगा। उनका कहना था कि मृतक दंपत्ति प्रवासी था। परिजनों को भी सूचित किया गया है, ताकि उन्हें न्यायिक जांच में शामिल किया जा सके। मासूम बच्चों को शिशु गृह भेज दिया गया है।
एक सवाल के जवाब में डीएसपी ने माना कि बच्चों की एक दिन देखभाल की जिम्मेदारी लेडी कांस्टेबल को दी गई थी। उन्होंने ये भी माना कि महिला के शरीर पर कोई गहरा घाव नहीं था। जब उसके पति को गिरफ्तार किया गया तो वो भी ठीक दिख रहा था।
कहीं ऐसा तो नहीं…
हालांकि आधिकारिक तौर पर इस समय पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन एक आशंका यह भी है कि पति-पत्नी ने किसी जहरीली वस्तु का सेवन तो नहीं किया था। जिसके असर से दोनों की अलग-अलग समय मौत हुई हो। बता दें कि पुलिस इस थ्योरी को खारिज नहीं कर रही है, लेकिन पोस्टमार्टम विसरा रिपोर्ट में ही स्थिति साफ होने की बात कह रही है।
कोविड संकट… विडंबना देखिए, अबोध बच्चों के माता-पिता का निधन कोविड- 19 की वजह नहीं हुआ है। अन्यथा पढ़ाई के अलावा जीवन यापन की आर्थिक मदद सरकार की योजना से मिल सकती थी। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष ने भी एक ऐसे बच्चे को गोद लेने का ऐलान किया है जिसने कोविड-19 की वजह से अपने पिता को खो दिया था.
सुंदरनगर उपमंडल में बहन, भाई के सिर से भी माता-पिता का साया कोविड-19 से उठ गया था लेकिन उन बच्चों को अपनी दादी का आसरा है। काश अगर सरकार इन अबोध बच्चों को भी सरकारी योजना का लाभ दे दे तो उन्हें अपनी शिक्षा व जीवन यापन के लिए किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।