शिमला, 12 जून: हिमाचल के मनाली (Manali) स्थित मोनाल प्रजनन केंद्र (The Monal Breeding Center) इन दिनों खूबसूरत पक्षी के तीन नन्हें परिंदों (Chicks) की चहचाहट (Whispering) से गूंज रहा है। इनकी उम्र 21 दिन हो चुकी है। पिंजरे में इन नन्हें परिंदों को अपनी मां के साथ अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है। नेहरू फिजेंट्री केंद्र की स्थापना 1984 में मोनाल प्रजातियों के संरक्षण के लिए की गई थी, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है।
यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी (National Bird of Nepal) भी है। 2015 में मोनाल (Lophophorus Impejanus) के प्रजनन केंद्र को अलग से विकसित कर दिया गया। मोनाल का पहला चूजा 27 मई 2017 को पैदा हुआ था, लेकिन एक महीने से भी कम वक्त में 14 जून 2017 को उसकी मृत्यु हो गई। 2018 में पहली बार प्रजनन (Breeding) सफलतापूर्वक हो पाया। 3 में से 2 परिंदें बच गए थे। दो साल से प्रजनन सफल नहीं हो रहा था। वाइल्ड लाइफ विभाग (Wild Life) ने केंद्र में कई सुधार किए। इसी की वजह से एक जोडे़ ने तीन अंडे (Eggs) दिए। इसके बाद हैचिंग (Hatching) सफल हो गई।
चूंकि हिमालय (The Himalayan Monal) की ऊंची बर्फीली चोटियों पर पाई जाने वाली मोनाल की प्रजातियां संरक्षण के लिहाज से अहम हैं, यही कारण है कि दो साल (Two Years Gap) के अंतराल के बाद सफल प्रजनन एक खास उपलब्धि है। योजनाबद्ध संरक्षण के कारण ही संभव हुआ है। हिमाचल का राज्य पक्षी (State Bird) रह चुके मोनाल की संख्या कम होने की वजह प्राकृतिक(Nature) के साथ मानवीय हस्तक्षेप (Human Intervention), शिकार व जंगलों पर बढ़ता दबाव इत्यादि रहा है। इस समय फिजेंट्री (Pheasantry) में 14 नर व दो मादा मोनाल पक्षी हैं।
उल्लेखनीय है कि अमूमन ये पक्षी 6900 से 14,800 फीट की ऊंचाई पर मिलता है। ये आईयूसीएन (International Union for Conservation of Nature) की रैड कैटेगरी में सूचीबद्ध है। इस समय मोनाल उत्तराखंड का भी स्टेट बर्ड है। हिमाचल में 2007 तक यह राज्य पक्षी रहा।
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ये है इसकी खासियत…
मोनाल की कलगी (Crest) की अपनी ही अलग खूबसूरती है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा लंबे अरसे से टोपी में कलगी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध (Restriction) लगाया गया है, लेकिन हिमाचल (Himachal) में चुनिंदा बुजुर्ग ऐसे हो सकते हैं जिन्हें अलग-अलग कारणों से टोपी पर मोनाल की कलगी के इस्तेमाल की अनुमति हो। हिमाचल में 1982 तक पुरुषों की टोपियों (Cap) पर मोनाल (Monal) की कलगी (Crest) को सजाने पर प्रतिबंध नहीं था। इस पर प्रतिबंध लगने के बाद मोनाल की प्रजाति साइट होने लगी।
रोचक बात ये है कि पाकिस्तान में इस प्रजाति को लुप्तकाय (Endangered) नहीं माना जाता है, क्योंकि वहां ये आसानी से पाया जाता है। पाकिस्तान में कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जहां 5 जोड़े प्रति वर्ग मील मिल जाते हैं। कलगी के कारण ये शिकारियों (Poachers) के निशाने पर रहता है। ये पक्षी 28 इंच लंबा होता है।
नर का वजन मादा की तुलना में हल्का अधिक होता है। व्यस्क नर (Adult male) में बहुरंगी पंख आकर्षण का केंद्र बिन्दू होते हैं। पक्षी प्रेमियों को मोनाल मोहित कर लेता है। मोनाल का ब्रिडिंग सीजन अपै्रल से अगस्त के बीच होता है। इसी दौरान ये पक्षी जोड़े बनाता है।
ये बोले डीएफओ….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में वाइल्ड लाइफ कुल्लू के डीएफओ राकेश कुमार ने बताया कि 22 मई 2021 को मादा मोनाल ने तीन चूजों की हैचिंग हुई। चूंकि तीन सप्ताह कठिन रहते हैं, यही कारण है कि अब तक स्वास्थ्य को लेकर निगरानी की जा रही थी। अब ये प्रतीत हो रहा है कि तीनों ही स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि करीब दो साल बाद दोबारा हैचिंग हुई है। डीएफओ ने कहा कि प्रजनन केंद्र में कुछ सुधार करने के बाद ये सफलता हासिल हुई है।