शिमला, 10 जून : हिमाचल प्रदेश की पौंग झील परिंदों का पसंदीदा स्थल है। इसके लिए चाहे परिंदों को हजारों किलोमीटर का सफर ही क्यों न करना पड़े। झील में चातक (Jacobin cuckoo) पक्षी की साइटिंग (Sighting) हुई है। यहां अठखेलियां करने के लिए वो दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से 1500 से 2000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करने के बाद अरब सागर को पार करके पहुंचा है।
वाइल्ड लाइफ के रिकाॅर्ड के मुताबिक जैकोबिन कुक्कू (चातक) की साइटिंग़ 3 जून को वनरक्षक अंकुश धीमान द्वारा की गई थी। बकायदा इसकी तस्वीर भी कैमरे (Photo Captured) में कैद हुई है। इस पक्षी (Bird) से जुड़ी कई अनोखी बातें पौराणिक कथाओं (Mythology) में वर्णित हैं। इसे मानसून का अग्रदूत (Forerunner) तो माना ही जाता है। साथ ही इसकी खासियत यह भी है कि मादा अपने अंडे (Eggs) को दूसरे पक्षियों के घोंसले (Nest) में रख देती है, जहां उसके चूजों (Chicks) को पूरी देखभाल मिलती है। ये कोयल प्रजाति (Cuckoo species) का पक्षी है।
ऐसा भी माना जाता है कि ये पक्षी बारिश की पहली बूंदों से अपनी प्यास बुझाता है। कुछ साल पहले पक्षी को देखने वालों ने इस सच्चाई का भी परीक्षण किया था कि क्या पक्षी का आगमन मानसून (Arrival of Monsson) के आने के संकेत (Indication) से जुड़ा है। बर्ड वाॅचर्स (Bird Watchers) ने ऑनलाइन डाॅक्यूमेंटेशन फार्म पर स्टडी (Study) से पता लगाया कि वास्तव में ही इस पक्षी का नाता मानसून (Monsoon) से जुड़ा हुआ या नहीं, कुछ क्षेत्रों में यह भी पाया गया है कि जहां भी मानसून पहले पहुंचा था, वहां ये पक्षी कुछ दिन पहले ही आ गया था।
भारतीय मिथक के मुताबिक जैकोबिन कोयल (Jacobin Cuckoo) को भाग्यशाली (Fortunate) पक्षी भी माना जाता है। यही पक्षी मानसून की शुरुआत करता है। दीगर है कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में मानसून ऋतु को सबसे शुभ मौसम माना जाता है। मानसूनी हवाओं के साथ ये पक्षी अरब सागर (Arabian Sea) को पार करने के बाद उत्तर व मध्य भारत में आने का रास्ता बनाता है। मेहमान परिंदों के लिए हिमाचल की पौंग डैम एक महफूज ठिकाना भी बनी है। दुनिया के कई अन्य हिस्सों से भी कई प्रजातियां यहां पहुंचती हैं।
ये बोले डीएफओ…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में हमीरपुर में वाइल्ड लाइफ (Wild Life) के डीएफओ राहुल रोहाणे ने कहा कि करीब एक सप्ताह पहले पक्षी की साइटिंग हुई है। इस साल के रिकाॅर्ड में इस प्रजाति (Species) का केवल एक ही पक्षी दर्ज हुआ है। उनका कहना था कि वैसे पहले भी इस प्रजाति के आने का रिकाॅर्ड दर्ज है। उन्होंने बताया कि मानसून के साथ ही पक्षियों का प्रजनन (Breeding) भी शुरू हो जाता है। ये पक्षी अक्तूबर के बाद वापस लौटना शुरू हो जाते हैं।
ये भी है मान्यता…
ऐसी भी मान्यता है कि जब ये पक्षी कम संख्या में आते हैं या स्थान को छोड़कर जाने लगते हैं तो उस क्षेत्र में सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है। पीपल, बरगद व ईमली के पेड़ों (Trees) पर अपना ठिकाना बनाते हैं। ऐसी भी किवदंती है कि ये पक्षी स्वाति नक्षत्र में पहली वर्षा की बूंद को बगैर धरती पर गिरे ही ग्रहण कर लेता है, चाहे वो कितना भी प्यासा हो, तालाब के जल को ग्रहण नहीं करता।
ये भी कुछ खास
ये पक्षी अफ्रीका (Africa) में पाया जाता है। कोयल प्रजाति का सदस्य है। यह आंशिक रूप से प्रवासी है। भारतीय पौराणिक कथाओं और कविता में एक पक्षी के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे चटक (संस्कृत: चातक) के रूप में जाना जाता है, जिसे अपने सिर पर एक चोंच के साथ एक पक्षी के रूप में दर्शाया गया है जो अपनी प्यास बुझाने के लिए बारिश की प्रतीक्षा करता है।
चातक (Jacobin Cuckoo) कुक्कू कुल का प्रसिद्ध पक्षी है, जो अपनी चोटी के कारण इस कुल के अन्य सब पक्षियों से अलग रहता है। चातक लगभग 15 इंच लंबा काले रंग का पक्षी होता है, जिसका निचला भाग श्वेत होता है। स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshatra) में होने वाली वर्षा की सिर्फ पहली बूंदों को ही पीता है। इसके कुल में कोयल, पपीहा, कुक्कू, काफल पाक्को, फूपू आदि पक्षियों की तरह इसकी मादा भी दूसरी चिड़ियों के घोंसले में अपना एक-एक अंडा रखती है। इस कुल के पक्षी संसार के प्राय: सभी गर्म देशों में पाए जाते हैं।
इन पक्षियों की पहली और चौथी उँगलियाँ पीछे की ओर मुड़ी रहती हैं। चातक (Pied crested cuckoo) का मुख्य भोजन कीड़े मकोड़े और इल्लियाँ हैं।यह प्रजाति प्राचीन भारतीय कविता में व्यापक रूप से उल्लेखित है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार इसकी चोंच अपने सिर के ऊपर होती है। कवि कालिदास ने “मेघदूत“ में एक रूपक के रूप में इस पक्षी का जिक्र किया है।