शिमला, 2 जून : कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच ठियोग पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को उसके परिजनों से मिलवाया है, जो उसके इस दुनिया में जीवित रहने की उम्मीद छोड़ चुके थे। पुलिस की इस नेकी की हर कोई सराहना कर रहा है। बिहार का रहने वाला 55 वर्षीय एक व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार था। पिछले दिनों कर्फ्यू के बीच वह ठियोग बाजार में घूम रहा था। पुलिस के जवानों की उस पर नजर पड़ी और उसे थाने ले जाया गया।
प्रथम दृष्टया यह व्यक्ति मानसिक रुप से बीमार लग रहा था। पुलिस ने इस व्यक्ति को खाना खिलाया, कपड़े पहनाए और रात को सोने के लिए बिस्तर भी दिया। पड़ताल के दौरान पाया कि ये व्यक्ति मूलतः बिहार के शेखापुर का रहने वाला है और भटककर ठियोग पहुंच गया है। ठियोग पुलिस ने बिहार पुलिस से संवाद किया और वाट्सअप के माध्यम से उक्त व्यक्ति का फोटो व पता भेजा। बिहार पुलिस ने परिजनों का पता खंगाल कर ठियोग पुलिस को सूचित किया कि इस व्यक्ति का वास्तविक नाम चतुरानन्द है तथा वह थोड़ा मानसिक रूप से परेशान होने के कारण करीब 8 सालों से घर से लापता हैं।
उसके परिवार में पत्नी व उसका एक बेटा है। ठियोग पुलिस की पहल पर सूरज कुमार एक परिजन के साथ अपने पिता को लेने मंगलवार को ठियोग पहुंचा। जहां पुलिस ने औपचारिकता पूरी करने के बाद चतुरानन्द को उसके बेटे के हवाले कर दिया। परिजनों के आने तक पुलिस ने 10 दिन तक चतुरानन्द को वृद्ध आश्रम चौपाल में अपनी निगरानी में रखा था।
बेटे सूरज ने बताया कि उसके पिता 8 साल से लापता थे तथा उन्हें लगता था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अब पिता के मिल जाने पर वह खुश हैं और ठियोग पुलिस के इस एहसान को हमेशा याद रखेंगे। ठियोग के डीएसपी कुलविंदर सिंह ने बताया कि चतुरानन्द नामक व्यक्ति को उसके सुपुत्र सूरज को सौंप दिया गया है। वह अपने एक रिश्तेदार के साथ बिहार के शेखापुर से ठियोग पहुंचा था। उन्होंने मानवता के इस कार्य के लिए ठियोग पुलिस के एसएचओ व कर्मियों की पीठ थपथपाई।