शिमला, 30 मई : रविवार को हिमाचल को निजी क्षेत्र द्वारा एयर एंबुलेंस (Air Ambulance) की सुविधा मुहैया (Provide) करवाने की उम्मीद बढ़ गई है। दरअसल, संजौली हेलीपोर्ट (Heliport) पर एयर एंबुलेंस की लैंडिंग (Landing) व टेक ऑफ (Take Off) का कामयाब ट्रायल (Trial) हो गया है।
प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद चार्टर एयरक्राफ्ट सर्विसेज इंडिया (Charter Aircraft Services India) ने इसका संचालन किया था। हेलीकाॅप्टर ने देहरादून से उड़ान भरने के बाद सफलतापूर्वक संजौली हेलीपोर्ट पर लैंडिंग की। ये 6 सीटर चौपर है। इसके अलावा पायलट के साथ एक को-पायलट (Co Pilot) की सीट है। यानि एक वक्त में 8 लोग उड़ान भर सकते हैं।
दरअसल, एयर एंबुलेंस के अलावा राज्य द्वारा इस चौपर का इस्तेमाल रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) में किया जा सकता है। साथ ही अगर दुर्गम इलाकों (inaccessible areas) में दवाएं व टीम को भेजना है तो भी फायदा है। शिमला से चंडीगढ़ में मरीज को 20 से 30 मिनट के बीच पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा जनजातीय क्षेत्रों (Tribal Areas) को भी फायदा हासिल हो सकता है। कंपनी ने कुछ अरसा पहले सरकार के साथ पत्राचार शुरू किया था। इसी के चलते सरकार ने रविवार को लैंडिंग की अनुमति भी जारी की थी।
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उल्लेखनीय है कि कोविड को लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका (public interest litigation) में भी एयर एंबुलेंस का जिक्र आ चुका है। उधर, एमबीएम से बातचीत में चार्टर एयरक्राफ्ट सर्विसेज (Charter Aircraft Services) के निदेशक अभिषेक गुप्ता ने कहा कि फिलहाल ये एयर एंबुलेंस नाॅन कोविड (Non Covid) है, लेकिन कंपनी इसके लिए भी अनुमति हासिल करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है। उनका कहना था कि ट्रायल के बाद वापस हेलीकाॅप्टर की लैंडिंग देहरादून करवा दी गई है।
उन्होंने बताया कि एयर एंबुलेंस में मरीज की मौजूदगी की स्थिति में एक डाॅक्टर की भी उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है। साथ ही मेडिकल उपकरण भी मौजूद रहते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि अगर हेलीकॉप्टर को शिमला में ही स्टेशन किया जाता है तो उस स्थिति में मरीज के तीमारदारों के साथ-साथ सरकारी इस्तेमाल के खर्चे में भी भारी कमी आएगी।
उन्होंने बताया कि वैसे कंपनी द्वारा न्यूनतम दो घंटे की उड़ान का चार्ज लिया जाता है। मगर पहाड़ी प्रदेश के लिए इस शर्त को भी लागू नहीं किया जा रहा। मतलब समझें तो केवल उतनी ही देर का चार्ज वसूला जाएगा, जितनी देर की उड़ान होगी। इस हेलीकाॅप्टर को 15 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि संजौली में शानदार हेलीपोर्ट तैयार हो चुका है, लेकिन इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हो पाया है।