शिमला, 26 मई : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर श्रमिक संगठन सीटू के बैनर तले मजदूरों ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश के जिला, ब्लॉक मुख्यालयों, कार्यस्थलों, गांव तथा घर द्वार पर प्रदर्शन करके नेशनल ब्लैक डे मनाया गया। इस दौरान शिमला सहित प्रदेश के अन्य स्थानों में मजदूरों ने अलग-अलग जगह कोविड नियमों का पालन करते हुए अपनी भागीदारी की। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है।
यह सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पूर्णतः विफल रही है। कोरोना महामारी की आपदा में भी केंद्र सरकार ने केवल पूंजीपतियों के हितों की रखवाली की है। उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया इतना संवेदनहीन रहा है कि यह सरकार सबको अनिवार्य रूप से मुफ्त वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। कोरोना काल में लगभग पन्द्रह करोड़ मजदूर अपनी नौकरियों से वंचित हो चुके हैं परन्तु सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए।
विजेंदर मेहरा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पांच हज़ार से ज़्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया। उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ तीन काले कृषि कानून बना दिए गए। डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ,पैरामेडिकल,सभी स्वास्थ्य कर्मियों, आशा, आंगनबाड़ी, सफाई, आउटसोर्स कर्मियों जैसे कोरोना योद्धाओं की रक्षा करने में यह सरकार पूर्णतः असफल रही है।
लाखों लोग महामारी की चपेट में अपनी जान गंवा चुके हैं परंतु उनके परिवार को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। कहा कि हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड से पंजीकृत सभी मनरेगा व निर्माण मजदूरों को वर्ष 2020 में घोषित छः हज़ार रुपये की आर्थिक मदद सुनिश्चित की जाए व छः हज़ार रुपये की यह आर्थिक मदद वर्ष 2021 के लिए अलग से भी जारी की जाए।