बिलासपुर, 25 मई : न बैंड न बाजा, ना बाराती न साथी, अकेले ही दूल्हे का लिबास पहनकर वो कार में दुल्हन लेने निकल गया। दुल्हन के साथ सात जन्म साथ निभाने के फेरे लेकर दुल्हन को घर ले आया। खुद ही सारथी था खुद ही दूल्हा। जब शादी की तारीख तय हुई थी, तब ख्वाहिशें बहुत थी कि रिश्तेदारों व दोस्त भी बाराती होंगे।

बैंड बाजे होंगे नाच गाना होगा। लेकिन कोरोना महामारी के कारण ख्वाहिशें अधूरी रह गई। सरकार के आदेशों के अनुसार शादियों में न बेंड बजेंगे न डीजे लगाए जाएंगे। महज 10-20 लोगों की मौजूदगी में शादी होगी। सरकारी आदेशों की कुछ लोग अवहेलना कर रहे है तो कुछ लोग अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। महामारी के चलते जिम्मेदारी को निभाने का मामला घुमारवीं उपमंडल के गांव बबैली में देखने को मिला। दूल्हा अकेला ही दुल्हन लेने गया। दुल्हन के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में रस्में निभाकर अपनी कार को ड्राइव कर दुल्हन को घर ले आया।
दूल्हे का कहना है कि सांसे है तो संसार है। महामारी के बाद दोस्त भी बुलाए जाएंगे और नाच गाना भी होगा, डीजे भी बजेंगे ओर अपनो के संग खुशियां भी होंगी। लेकिन इस वक्त उसे अपनी खुशियों से ज्यादा लोगों की जान जरूरी है। वबैली गांव के अरविंद की शादी बेहड़ा गांव की पूजा से हुई।
सरकार के आदेशों का पालन करते हुए हर बात का ख्याल रखा गया। दूल्हे ने गाड़ी खुद चलाई और वेहड़ा गांव में अपनी पत्नी को लेने पहुंच गए। दुल्हन पक्ष की तरफ से भी शादी में महज पारिवारिक सदस्य मौजूद रहे। कुल मिलाकर समाज में ऐसी मिसाल कायम करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार व प्रशासन को आगे आना चाहिए।