शिमला, 23 मई : हिमाचल प्रदेश में मादक पदार्थ तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान काफी सख्ती से चल रहा है। पिछले एक वर्ष में राज्य में 19 विभिन्न मामलों के 11.37 करोड़ रुपए की संपति अटैच और फ्रीज़ की गई, जिसमें ज़िला कुल्लू में 15 मामलों में 3.79 करोड़ रुपये की संपति व कांगड़ा में दो मामलों में 7.29 करोड़ रुपए की संपति अटैच तथा बिलासपुर के एक मामले में 18.31 लाख रुपए व शिमला के एक मामले में 10.67 लाख रुपए के बैंक डिपोटिज फ्रीज़ किए गए हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाकर राज्य को ‘ड्रग फ्री स्टेट’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस को बड़े नशा तस्करों के अलावा छोटे तस्करों पर भी कार्रवाई करने केेे निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भांग और अफीम की अवैध खेती को नष्ट करने और नशा तस्करों की संपति को अटैच करने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक जनवरी, 2020 से 30 अप्रैल, 2021 तक एनडीपीएस अधिनियम की संबंधित धारा के अंतर्गत कुल 2126 मामले दर्ज किए गए हैं और 2909 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस अवधि के दौरान विभिन्न खुफिया अभियानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पदार्थों की अवैध खेती का पता लगाकर इसे नष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान 7917 बीघा भूमि में लगभग 12.52 लाख भांग के पौधे और 52 बीघा भूमि में 2.66 लाख अफीम के पौधे नष्ट किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भू-स्वामियों व अपराधियों के विरूद्ध 161 मामले दर्ज किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में राज्य पुलिस ने मंडी जिले के पधर की टिक्कन उप-तहसील के अंतर्गत चैहार घाटी में 66 बीघा भूमि पर 10 करोड़ रुपये मूल्य के 15 लाख अफीम के पौधे की अवैध खेती का पता लगाने में सफलता प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराधियों द्वारा नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित चल और अचल संपत्तियों को अटैच करने के लिए वित्तीय जांच भी की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस प्रवर्तन निदेशालय के सहयोग से ऐसे अपराधियों के विरुद्ध धन-शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत जांच करने पर विचार कर रही है।