ऊना, 23 मई : ज़िले के मानवीय संवेदनाएं जब मृत हो गई, तो एक विधवा महिला को एक वट वृक्ष ने सहारा दिया। कुदरत का कहर कहे या फिर मानवता के सूखते हुए आंसू, लेकिन ये सच है कि एक महिला पिछले तीन महीने से वट वृक्ष के नीचे ही आश्रय लिए हुए है। बता दें कि महिला मवां सिंधिया की महिला का कथित रूप से कोई 20 वर्ष पुराना जमीनी विवाद है। इसके पति ने जमीन किसी और को बेच दी है और इसको इसकी जानकारी नहीं है।

2012 में इसे तत्कालिक डीसी ने लैंड लेस एक्ट के तहत 5 मरले जमीन अलॉट कर दी, इस पर महिला ने एक छोटा सा कमरा बनाया। उस कमरे को गांव के कुछ लोगों ने तोड़ दिया और इसके साथ मारपीट भी की। तब इसकी बेटियां इसे अपने साथ पंजाब ले गई, लेकिन उसके बाद से ये लगातार अपनी जमीन को लेकर संघर्ष कर रही है और दावा करती है कि ये मेरे पति ने किसी को जमीन नहीं बेची है। इन लोगों ने धोखे से जमीन अपने नाम करवाई है।
खैर जमीन का मामला तो कानूनी प्रक्रिया से हल होगा, इसके लिए कानून अनुसार कुछ न कुछ निर्णय भविष्य में हो जाएगा। सवाल तो वर्तमान का है अब ये महिला इस वट वृक्ष के नीचे बैठी हुई है। दिन-रात यहीं रहती है। हालांकि बेटियां इसे अपने पास ले जाना चाहती है। लेकिन महिला इस जिद्द पर है कि अपने पति का गांव नहीं छोडूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए।
मवां सिंधिया के जंगल में ये महिला ऐसी स्थिति में रहती है कि कोई आम इंसान इस स्थान पर एक घंटे भी रुक नहीं सकता, लेकिन महिला ने वट वृक्ष के नीचे बकायदा एक चूल्हा बनाया हुआ है और जमीन पर बिस्तर बिछाया हुआ है। इस स्थिति में ये कितने दिन रहेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल नीले गगन के नीचे महिला अपने जीवन का ये पड़ाव काट रही है।
मवां सिंधिया की प्रधान सुरजीत कौर ने बताया कि यह महिला पिछले कई दिनों से यही रह रही है। पहले यह होशियारपुर चली जाती थी, लेकिन अब काफी दिनों से गांव में ही रह रही है। इसका जमीन को लेकर विवाद है। पूर्व प्रधान से पता चला है कि डीसी ऊना द्वारा इसे 5 मरले जमीन गांव में अलॉट की गई है, जिसकी पटवारी से जानकारी ली जाएगी।