शिमला, 18 मई : हिमाचल किसान सभा ने कोरोना काल में घाटा झेल रहे सब्ज़ी उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। मंगलवार को शिमला में आयोजित संयुक्त प्रैस वार्ता में हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तवर , किसान सभा के पूर्व राज्य सचिव एवं विधायक राकेश सिंघा और राज्य कोषाध्यक्ष सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि कोविड के समय में जब आम आदमी को दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है वहीं किसान अपने उत्पाद पशुओं को खिलाने और गोबर में मिलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इसका कारण मण्डी में दाम न मिलना है।

किसान सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि इस सीज़न में फूलगोभी के दाम 2 रुपए से 7 रुपए तक मिले जबकि इसका लागत मूल्य 10 से 12 रुपए आती है। दूसरी तरफ आम उपभोक्ता को बाज़ार में फूलगोभी के 20-25 रुपए प्रति किलोग्राम तक दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
इन्होंने मांग की है कि तुरंत प्रभाव से फुलगोभी तथा कुछ ही समय में तैयार होने वाली अन्य सब्ज़ियों (टमाटर, बंदगोभी मटर, फ्रांसबीन) आदि के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर पर खरीद को सुनिश्चित किया जाए। किसान सभा ने प्रदेश सरकार से यह भी आग्रह किया कि महीनों की किसानों की मेहनत से खिलवाड़ न किया जाए तथा वाजिब दाम पर खरीद सुनिश्चित की जाए। इस बाबात किसान सभा ने सरकार को ई.ज्ञापन भी प्रेरित किया।
किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तवर ने कहा कि इस महामारी के दौर में जहां एक ओर सरकार को किसानों पर प्रकृति की मार, ओलावृष्टि से हुए नुकसान, मण्डियों तक सही प्रकार से माल न ला पाने से हो रहे नुकसान, बेमौसमी बारिश से खराब हुई फसलों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए थी। वहीं सरकार किसानों के प्रति उदासीन और संवेदनशील बनी हुई है। किसानों की खून-पसीने की मेहनत खेत में सड़ रही है या गोबर में मिली जा रही है मगर सरकार का तन्त्र फसलों के न्युनतम दाम भी किसानों को नहीं दे पा रहा है।
विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि किसान आज भयंकर पीड़ा में है। प्रदेश का कोई क्षेत्र नहीं बचा जहां आलावृष्टि ने फसलों को नुकसान न पहुंचाया हो। 23 अप्रैल को हुई बर्फबारी ने भी बागवानों के पौधों को नुकसान पहुंचाया। प्रशासन की ओर से सर्वे भी किया गया मगर राहत के तौर पर एक नया पैसा किसानों को नहीं मिला।
सिंघा ने कोविड से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों पर भी चिंता ज़ाहिर की और आरोप लगाया कि सरकार ने समय रहते आपातकाल से निपटने के लिए ढांचा तैयार नहीं किया।
राकेश सिंघा ने कहा कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम को वापिस लेकर कालाबाज़ारी करने वालों को बढ़ावा दिया है। इस एक्ट के अभाव में कोविड से बचाव के लिए ज़रूरी वस्तुओं और दवाओं की कालाबाज़ारी हो रही है। सिंघा ने सरकार को सुझाव दिया कि 4-5 पंचायतों के कलस्टर बनाकर इस महामारी से निपटने के लिए खाका तैयार किया जाना चाहिए।