कुल्लू, 18 मई : जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के तांदी में प्रस्तावित 101 मैगावाट की जल विद्युत परियोजना का विरोध इतना अधिक बढ़ गया है कि इसके विरोध में स्थानीय तांदी पंचायत ने अब चेतावनी भरे बोर्ड लगा दिए हैं। जिसमें साफ-साफ शब्दों में इस जल विद्युत परियोजना को लेकर सरकार और कंपनी के किसी भी प्रतिनिधि को पंचायत क्षेत्र में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बोर्ड में पंचायत के 12 गांवों का जिक्र करते हुए चेतावनी दी गई है कि पंचायत के एक दर्जन गांवों की अनुमति के बगैर सरकार व कंपनी के किसी भी प्रतिनिधियों को तांदी संगम स्थल से आगे प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके साथ ही किसी भी प्रकार की परियोजना से संबंधित क्रियाकलापों की अनुमति भी नहीं है। बोर्ड में ये आदेश समस्त गांव वासी तांदी पंचायत की और से अंकित किए गए हैं। पंचायत के लोगों की माने तो वे अब परियोजना विरोध के लिए आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। घाटी वासियों के विरोध के बावजूद भी लाहौल में सरकार परियोजना निर्माण के लिए अनुमति दे रही है जो सरासर गलत है।

पंचायत के इन गांवों में प्रवेश बंद तांदी पंचायत की और से तांदी संगम स्थल में बोर्ड लगाया है और इसके साथ ही अन्य स्थानों पर भी बोर्ड लगाए जाने की योजना है। पंचायत क्षेत्र में लगाए जा रहे इन चेतावनी भरे बोर्ड में पंचायत के तांदी, ठोलंग, भा-सुमनम, ले सुमनम, मारबल, बारिंग, गाडंग, मालंग, क्रोजिंग, बोकटा, फुंक्यर, मडंग आदि गांवों का जिक्र किया गया है जिन गांवों में परियोजना को लेकर आने वाली सरकार के और कंपनी के प्रतिनिधियों के प्रवेश पर प्रतिबंध है।
संघ के लिए बनाई है समिति तांदी परियोजना से प्रभावित होने वाली तांदी, गौशाल और अन्य पंचायतों ने परियोजना के विरोध करने के लिए संघर्ष समिति बनाई है जिसका नाम तांदी बांध संघर्ष समिति का नाम दिया गया है। इस समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार लारजे और महासचिव विक्रम कटोच का कहना है कि इस परियोजना से प्रभावित होने वाली पंचायत क्षेत्रों में अब चेतावनी भरे बोर्ड लगाए जा रहे हैं जिसमें परियोजना के विरोध में पंचायतों की ओर से चेतावनी दी गई है। अगर इस चेतावनी के बाद भी कोई परियोजना से संबंधित प्रतिनिधि क्षेत्र में घुसता है तो उसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
खतरे में पड़ जाएगा लाहौल का वजूद
तांदी बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार और महासचिव विक्रम कटोच की माने तो परियोजनाओं के बन जाने से लाहौल का वजूद खतरे में पड़ जाएगा और यहां का वातावरण, पर्यावरण सब संकट में पड़ जाएगा। परियोजनाओं के लिए जब टनलों का निर्माण होगा तो भीतर ब्लास्टिंग होने से घाटी तबाही के कगार पर खड़ी होगी और ग्लेशियर का वजूद भी मिट जाएगा और वे तबाही का कारण बनेंगे जो हमने हाल के सालों में उतराखंड में देखा है लाहौल भी वैसी ही तबाही का गवाह बनेगा।
घाटी में और भी बड़ी परियोजनाएं प्रस्तावित
जानकारी के अनुसार तांदी की 101 जल विद्युत परियोजना के अलावा जिला में अलग-अलग स्थानों में और भी परियोजनाएं प्रस्तावित है जिनके धरातल में उतारने की प्रक्रिया चल रही है। इन परियोजनाओं में राशेल में 102 मेगावाट, बारदंग में 126 मेगावाट, मयाड में 90 मेगावाट और जिस्पा में 300 मैगावाट परियोजनाएं शामिल है जो प्रस्तावित हैं। जानकारी यह भी है कि घाटी में बड़ी और छोटी मिलाकर 50 से अधिक परियोजनाएं पाईपलाईन में हैं।
पत्रों का नहीं आया अभी तक कोई जवाब
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि समिति की और से पहले प्रदेश सरकार, राज्यपाल सहित प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें इस संदर्भ में किसी भी तरह का जवाब नहीं आया।