शिमला, 11 मई : हिमाचल को निजी क्षेत्र ने एयर एंबुलेंस सुविधा मुहैया करवाई है। इसके लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एयर एंबुलेंस को स्टेशन किया गया है। इसमें चिकित्सक व ऑक्सीजन इत्यादि के साथ मरीज के दो से तीन तिमारदार भी सफर कर सकेंगे। हालांकि राज्य के रिमोट इलाकों से समीपवर्ती प्रदेशों के उच्च स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुंचने के लिए एक से डेढ़ लाख का खर्च आ सकता है।

चार्टर एयरक्राफ्ट सर्विसिज, चंडीगढ़ व केेस्टेल एविएशन प्राइवेट लिमिटेड मुंबई ने इस सेवा को शुरू करने का ऐलान किया है। प्रवक्ता के मुताबिक ये सेवा डीजीसीए से स्वीकृत है। अगस्ता 119 कोआला हेलीकाॅप्टर इस बेड़े में शामिल है। इसे तेज रफ्तार के लिए भी जाना जाता है। प्रतिघंटा 140 से 150 एनएम की स्पीड मुहैया करवाता है।
कंपनी का तर्क है कि ये हेलीकाॅप्टर ऊंचाई व पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरने में सक्षम है। कंपनी के पास अत्याधुनिक अनुभवी पूर्व सेना के पायलट हैं। कंपनी को उत्तराखंड में पहाड़ी उड़ान का भी लंबा अनुभव है। उल्लेखनीय है कि 2018 में स्विटजरलैंड की हैलीमिशन फाउंडेशन ने राज्य को निशुल्क एयर एंबुलेंस की सुविधा का ऐलान किया था। इसमें लेडी विलिंगटन अस्पताल की भी भूमिका थी।
चार्टर एयरक्राफ्ट सर्विसिज के निदेशक अभिषेक गुप्ता नेे एमबीएम न्यूज से बातचीत में कहा कि वैसे न्यूनतम तौर पर दो घंटे फ्लाइट का किराया लिया जाता है। लेकिन हिमाचल में वास्तविक समय की ही राशि ली जाएगी। उनका ये भी कहना था कि एयर एंबुलेंस में 7 यात्री सवार हो सकते हैं। राज्य के रिमोट इलाकों से लोगों को बगैर विलंब के उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में शिफ्ट किया जा सकता है। उनका कहना था कि उम्मीद है कि सरकार का सहयोग मिल जाएगा। इस बारे पत्राचार किया जा रहा है।
उनका कहना था कि सरकार का सहयोग मिलने पर कंपनी किसी भी मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति में हेलीकाॅप्टर की उपलब्धता करवा सकती है। निदेशक ने ये भी कहा कि हालांकि इस समय हैलीकाॅप्टर के देहरादून में होने से ये सुविधा दक्षिण हिमाचल में तीव्रता से दी जा सकती है, लेकिन कंपनी ने इसका विस्तार हिमाचल के 12 जिलों के लिए किया है।
ये है मदद की दरकार….
कंपनी का कहना है कि प्रदेश की राजधानी संजौली मंे एक बेहतरीन हैलीपैड है। अगर कंपनी को इस हैलीपैड पर एयर एंबुलेंस को स्टेशन करने की अनुमति दे दी जाती है तो उस स्थिति में इसके इस्तेमाल के वास्तविक समय में भी कटौती हो जाएगी। इससे खर्चे में काफी कमी आएगी।
बता दें कि एयर एंबुलेंस पर कोई भी जीएसटी नहीं लिया जाता। हैलीपैड के अलावा कंपनी को दरकार है कि एमरजेंसी की स्थिति में संबंधित जिला के उपायुक्त से तत्काल परमिशन बेहद ही अहम हिस्सा है। अनुमति मिलने के बाद ही मूल स्थान से गंतव्य के लिए उड़ान भरी जा सकती है।
कंपनी तीसरी मदद ये चाहती है कि राज्य के तमाम हैलीपैड की जानकारी उपलब्ध करवा दी जाएगी। इनके को ऑर्डिनेटस उपलब्ध होने की स्थिति में कंपनी को संचालन में काफी आसानी होगी।