शिमला, 10 मई : हिमाचल में कोरोना की दूसरी लहर के जोर पकड़ने से साइबर अपराधी भी सक्रिय हो गए हैं। दरअसल कोरोना संक्रमण बढ़ने से लोगों को अस्पतालों में बेड, रेमडेसिवीर इंजेक्शन और ऑक्सिजन सिलेंडर की किल्लत से जुझना पड़ रहा है। जिसके लिए लोग सोशल साइट्स और एप्स पर मदद मांग रहे है। जिसका फायदा ठगों ने उठाना शुरू कर दिया है। ठग गूगल पर अस्पतालों का फर्जी नंबर डालते और फिर कर्मचारी बनकर ठगी का खेल खेलते है और लोगों से एडवांस पेमेंट वसूल लेते है। जो लोग पहले रकम जमा कर देते हैं, वो ठगी का शिकार हो रहे हैं। इस जानकारी के बाद लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
साइबर पुलिस ने कोरोना के बढ़ते मामलों से ऑक्सीजन, जीवन रक्षक दवाओं और अस्पतालों में बिस्तरों को लेकर हो रही महामारी के मद्देनजर साइबर ठगों के सक्रिय होने से लोगों को सावधान रहने को कहा है।
साइबर क्राइम शिमला के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के लगातार बढ़ रहे प्रकोप में रेमडेसिवीर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यापक मांग के बीच साइबर अपराधियों ने धोखाधड़ी का एक नया तरीका निकाला है। साइबर जालसाज ऑक्सीजन की उपलब्धता के नाम पर जरूरतमंद लोगों को धोखा देने की कोशिश में लगे हैं। चिकित्सा संसाधनों की सख्त जरूरत वालों को ये अपने जाल में फंसा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की घर और अस्पताल में डिलीवरी के नाम पर रकम जमा कर ठगने की कोशिश कर रहे हैं और लोगों को इनसे सावधान रहने की जरूरत है।
साइबर थाना पुलिस के मुताबिक अपराधी फर्जी वेबसाइट, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल बनाते है, जिससे ये मेडिकल उत्पादों को बचने का दावा करते है। ठगों की तरफ से बैंक और यूपीआई के माध्यम से भुगतान कराया जाता है। स्वास्थ्य अधिकारी बनकर भी ठगी का शिकार बनाया जा सकता है। इससे पहले वर्ष 2020 में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आने के बाद साइबर अपराधियों ने मास्क, सैनिटाइजर और ग्लव्स आदि सामान की बिक्री के नाम पर लोगों के साथ ठगी की थी। अब फिर से संक्रमण के मामले आने के बाद साइबर अपराधी ठगने की कोशिश में लगे हैं।
साइबर क्राइम शिमला के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की डिलीवरी के नाम पर भी साइबर अपराधी ठग रहे हैं। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वो ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिवीर की ऑनलाइन बुकिंग से डिलीवरी के झांसे में नहीं आएं।
उन्होंने लोगों से अनुरोध किया है कि इन ठगों से बचा जा सकता है यदि आप संदिग्ध ई – मेल, सोशल मेसेजिंग ऐप्स, गूगल आदि पर किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें। सोशल साइट्स से अस्पताल, मेडिकल व अन्य जरूरी सुविधा का नंबर लेते समय विशेष सावधानी बरतें। असत्यापित वेबसाइट से मिले कस्टमर केयर व पर्सनल नंबर से ठगी का शिकार हो सकते है। किसी की सत्यता की जांच के बिना एडवांस पेमेंट करने से बचें। इसके अलावा पैसे दान करने से पहले चैरिटी फंड की साख के बारे में जांच जरूर करें। आज के दौर में सोशल मीडिया पर अनजान व्यक्तियों से चैटिंग और अपरिचित नंबर के कॉल रिसीव न करें। साइबर अपराधी किसी एप और दूसरे मोबाइल की मदद से वीडियो रिकॉर्ड करते हैं। व्हाट्सएप पर अगर, अपरिचित नंबर से चैटिंग के लिए मैसेज आता है तो उसका जवाब नहीं देना चाहिए।
– आपके पास वीडियो कॉल आए तो अपना कैमरा ऑन न करें।
– व्हाट्सएप प्राइवेसी में अपना अकाउंट सिर्फ कान्टेक्ट करके रखें।
– फेसबुक पर आने वाले लाइव चैट के विज्ञापन से बचकर रहें।
– वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जाए तो पुलिस की सहायता लें।