नाहन, 09 मई : डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज के गायनी विभाग ने कोविड के एक साल के दौरान दिन-रात मेहनत की है। गर्भवती महिलाओं के लिए तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम वरदान साबित हुई। इसमें डाॅ. अमोध, डाॅ. ललित महाजन व डाॅ. प्रतिभा शामिल हैं।

आप इसी बात का अंदाजा लगा लीजिए कि इन्हीं तीन चिकित्सकों को ओपीडी के अलावा इनडोर भी संभालना था। साथ ही एमबीबीएस के स्टुडेंटस की कक्षाएं भी संभाली। ऐसे भी अक्सर मौके आए, जब इन्हें 24 घंटे तक ही लगातार डयूटी देनी पड़ी। एमरजेंसी सेवाओं में भी तत्पर रहे।
एक अप्रैल 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच मेडिकल काॅलेज में 2302 प्रसूतियों में से 1006 महिलाओं का सिजेरियन भी हुआ। यही नहीं, लगभग 8 से 10 हजार की ओपीडी के अलावा इनडोर में 5 हजार महिलाओं के उपचार की भी जिम्मेदारी संभाली। लाजमी तौर पर ऐसे कोविड वाॅरियर्स को सेल्यूट बनता है।
गायनी के विभागाध्यक्ष डाॅ. अमोध उम्र के तकाजे के बावजूद भी दिन-रात डयूटी पर तत्पर रहते हैं। वैश्विक महामारी के दौरान अगर मेडिकल काॅलेज की ओपीडी में कहीं कतारें थी तो वो था गायनी ओपीडी।
बता दें कि मेडिकल काॅलेज को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जा रहा है। ये भी एक कारण है कि सुविधाओं की बड़ी कमी है। इसमें स्टाफ प्रमुख समस्या है। बावजूद इसके तमाम दिक्कतों को नजरअंदाज कर गायनी विभाग ने कोविड संकट में एक अनुकर्णीय मिसाल कायम की है। कोविड संकट के दौरान अधिकतर गर्भवती महिलाओं के परिवार इसलिए घबराए हुए थे कि प्रसूति कहां व कैसे हो पाएगी। निश्चित तौर पर मेडिकल काॅलेज के चिकित्सकों ने करिश्मा कर दिखाया।
मई 2021 के पहले सप्ताह में भी कई प्रसूतियां हो चुकी हैं। यहां तक की शनिवार को भी एक पाॅजिटिव महिला की प्रसूति करवाने की जानकारी है। उधर विधायक डाॅ. राजीव बिंदल ने कहा कि गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाने के दौरान आॅपरेशन थियेटर में कार्य करने वाले चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ ने अपने जीवन को संकट में डालकर मानवता की सेवा की है, इसके लिए हम उन्हें सेल्यूट करते हैं।
उधर एमबीएम न्यूज से गायनी के विभागाध्यक्ष डाॅ. अमोध का कहना था कि पीपीई किट पहनकर डिलीवरी के दौरान शुरूआती चरण में दिक्कत आई थी, लेकिन जब आपका इरादा सेवाभाव का हो तो ईश्वर की भी आप पर कृपा रहती है।