मंडी, 07 मई : छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर के लोग राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कोरोना कर्फ्यू से नाखुश नजर आ रहे हैं, जबकि लोग सख्ती के साथ लॉकडाउन लगाने के पक्ष में अपनी बात रख रहे हैं। आज से जारी कोरोना कर्फ्यू के पहले दिन लोगों ने राज्य सरकार को यह सुझाव दिया।

हालांकि कोरोना कर्फ्यू के पहले दिन की बात करें तो मंडी शहर में सिर्फ वही दुकानें खुली रही जिन्हें सरकार ने खोलने की अनुमति दे रखी है। इसके अवाला गैरजरूरी दुकानें पूरी तरह से बंद रही। वहीं आम दिनों की तुलना में शहर में काफी कम भीड़ देखने को मिली। लोग सिर्फ अपनी जरूरत का सामान लेने ही बाजारों की तरफ आए और उसके बाद वापिस घरों की तरफ लौट गए।
लोग कर्फ्यू से नाखुश, बता रहे सिर्फ मजाक
लेकिन लोग कोरोना कर्फ्यू में सरकार की तरफ से दी जा रही रियायतों को घातक बता रहे हैं। मंडी शहर निवासी सचिन शर्मा का कहना है कि सरकार को कंपलीट लॉकडाउन लगाना चाहिए और जरूरत की दुकानें एक निर्धारित समय में ही खोलनी चाहिए। सख्ती के साथ लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। वहीं गौरव कुमार का कहना है कि शहर में दो हजार दुकानों में से सरकार ने 1500 दुकानें खुली रखने का निर्णय लिया है जोकि किसी मजाक से कम प्रतीत नहीं हो रहा है।
सरकार को कोरोना की रोकथाम के लिए सही और सख्त फैसला करने की जरूरत है। उमेश कुमार का कहना है कि जितनी ढील सरकार ने दे रखी है उससे कोरोना संक्रमण के ज्यादा फैलने का खतरा बना हुआ है। बाहर से पर्यटकों के आने पर भी कोई रोक नहीं है। परविंदर कुमार का कहना है कि भीड़ अब भी जुट रही है और बाहर से लोग अब भी आ रहे हैं जबकि कोई सख्ती नजर नहीं आ रही है। यदि सख्ती करनी है तो भी पूरे तरीके से करनी पड़ेगी।
वहीं पारस वैद्य का कहना है कि कर्फ्यू कहीं भी नजर नहीं आ रहा है, जिसकी जहां मर्जी है वो वहां पर घूम रहा है। सरकार को चाहिए था कि कंपलीट लॉकडाउन लगाते और वालंटियर सेवाएं देते।
लोगों को खुद भी सहयोग करने की जरूरत
हालांकि लोकतंत्र में लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन वायरस की रोकथाम में भी अपना सहयोग देने का योगदान देना चाहिए। सरकार ने कोरोना कर्फ्यू सिर्फ इस मंशा के साथ लगाया है कि न तो लोगों को परेशानी हो और न ही लोग बेवजह घरों से बाहर निकलें। आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने रियायतें भी दी हैं। लेकिन अब यह लोगों पर ही निर्भर करता है कि इस महामारी की समाप्ति के लिए उन्हें सरकार से ज्यादा खुद पर सख्ती की जरूरत है।