हमीरपुर, 6 मई : हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड ने मृतक कनिष्ठ अभियंता (जेई) को एसडीओ के पद पर प्रमोट कर दिया। लाजमी तौर पर इस प्रकरण से बोर्ड की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। संभव है कि त्रुटि के कारण ऐसा हुआ होगा। लेकिन सवाल ये उठता है कि अंतिम आदेश जारी होने तक नीचे से ऊपर तक के तमाम कर्मियों व अधिकारियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी।

सरकारी व्यवस्था में नीचे से चली फाइल को शीर्ष अधिकारी बगैर मामूली पड़ताल के ही साइन कर देते हैं। बशर्ते कि कोई स्पेशल केस न हो। जेई से एसडीओ प्रमोट किए गए राजकुमार का गत वर्ष निधन हो गया था। बोर्ड की लचर कार्यप्रणाली की वजह से उन्हें आज भी जीवित दिखाया जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले मई 2020 में भी बिजली बोर्ड का इसी तरह का एक मामला सामने आया था। एसडीओ जैसे पद पर निश्चित तौर पर पदोन्नति से पहले नियमों व रिकॉर्ड की जांच होती है। मगर, बार-बार चूक की जा रही है। बिजली बोर्ड अपनी इस लापरवाही को लेकर कई तर्क दे सकता है। लेकिन इस बात को भी नहीं भुलाया जाना चाहिए कि जिस परिवार ने अपना एक बेटा खो दिया हो और अब इस गम से काफी हद तक उबर चुका हो। लेकिन अब उन्हें प्रमोशन की बात बता दी जाए तो परिवार पर क्या गुजरेगी।
बड़सर के अधिशाषी अभियंता ने मीडिया को बताया कि मृतक जेई इसी उपंडल में तैनात थे। निधन की जानकारी शीर्ष अधिकारियों को दी गई थी। उधर, बोर्ड का ये भी तर्क है कि ये जांच की जा रही है कि किस स्तर पर गलती हुई है।