हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान : प्राइवेट बसों के पहिये थमने से सरकारी बसों में सवारियों की भीड़ काफी बढ़ गई है। कोविड प्रोटोकॉल के तहत बसों में 50 फीसदी सवारियां ही बिठाई जा सकती है, मगर निजी बस ऑपरेटरों की स्ट्राइक की वजह से अचानक सरकारी बसो में सवारियों की भीड़ बढ़ने लगी है। 50 फीसदी नियम के तहत 37 सीटर बसों में अधिकतम 18 से 19 सवारियां ही बिठाई जा सकती है, मगर हैरानी की बात यह है कि 47 सीटर बसों में 40 से 50 सवारियों को बिठाया जा रहा है।

बस की सभी सीटे तो सवारियों से भर ही रही है, कुछ बसों में तो सवारियां स्टैंडिंग में सफर करने को मजबूर है। नतीजन सोशल डिस्टेंसिग की सरेआम धज्जियां उड़ रही है। बसों में जुट रही यात्रियों की भारी भीड़ कोरोना वायरस को खुला आमंत्रण दे रही है। गिरिपार क्षेत्र में सरकारी बसों के मुकाबले प्राइवेट बसे अधिक चलती है। करीब 65 फीसदी से अधिक सवारियां प्राइवेट बसों में ही सफर करती है। प्राइवेट बसों के न चलने से लोग सरकारी बसों में यात्रा करने के लिए विवश है।
हालांकि लोगों मे कोरोना का भी खोफ साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। कई लोग बसों की भीड़ से बचने के लिए 8 से 10 किलोमीटर का सफर पैदल चलकर ही तय कर रहे है मगर, सोलन, शिमला, नाहन व अन्य दूर के स्थलों तक पहुंचने के लिए लोगो को बसों में ही सफर करना पड़ रहा है।
बसों में सवारियों की अधिक भीड़ जुटना बस ड्राइवरों व कंडक्टरों के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है। इनके मना करने के बावजूद सवारियां जबरदस्ती बस में बैठ रही है। सवारियो को बस से उतारने के प्रयास में ड्राइवरों व कंडक्टरों के साथ सवारियों की नोक झोक की घटनाएं भी सामने आ रही है, मगर लोग मानने के लिए तैयार नही है। सरकारी बसों में जिस तरह सवारियो की भीड़ बढ़ रही है। यदि प्राइवेट बस ऑपरेटरों की स्ट्राइक जल्द समाप्त नहीं हुई तो आने वाले दिनों में इसके भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते है।