पांवटा साहिब, 2 मई : कोविड से मरीज की मौत पर परिवार में एक डर पैदा हो जाता है। इसमें परिवार को लगता है कि अंतिम संस्कार के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हो पाएगा, जबकि सिरमौर में ऐसा नहीं है। मुख्यालय में रैडक्राॅस सोसायटी के अलावा नगर परिषद भी कोविड मरीजों के शवों के अंतिम संस्कार में सक्रिय है।

वहीं, गुरु की नगरी में लावारिस लाशों के मसीहा के तौर पर पहचान रखने वाले हेमंत शर्मा भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं टलते। मगर एक झूठ न हेमंत को कोविड संक्रमित कर दिया है। हुआ यूं कि 29 अप्रैल को हेमंत को भूपपुर इलाके से एक फोन आता है। इसमें उनसे शव के अंतिम संस्कार के लिए आग्रह किया जाता है। वो अपने सेवाभाव की प्रवृति के चलते तत्काल ही हामी भरते हैं।
बार-बार परिवार से पूछते हैं कि रोगी की मृत्यु की वजह कोविड तो नहीं है, मगर परिवार मना कर देता है। वो घर पर पहुंचकर शव को अपने वाहन में रखते हैं। इसमें वो खुद ही अग्रणी रहतेे हैं। शव को लेकर वो मोक्षधाम की तरफ ड्राइव करना शुरू कर देते हैं। इसी बीच हेमंत को बीएमओ का फोन आता है। वो कहते हैं कि भूपपुर से एक कोविड रोगी के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना है। ये सूचना मिलते ही वो सावधानी बरतने का प्रयास तो करते हैं, लेकिन पीपीई किट के अलावा अन्य सावधानी बरतने का समय निकल चुका होता है।
इसके बाद हेमंत कोविड टैस्ट करवाते हैं। शनिवार की रात साढ़े 11 बजे रिपोर्ट पाॅजिटिव आ जाती है। साथ ही लक्षण भी आ रहे हैं।
एमबीएम न्यूज से बातचीत में हेमंत ने दरियादिली दिखाते हुए कहा कि उन्हें परिवार से कोई शिकायत नहीं है। क्योंकि उस समय परिवार की मानसिक स्थिति के बारे में वो समझ सकते हैं। अगर परिवार सच्चाई सामने रखता तो भी वो शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते। उनका कहना था कि अब वो आइसोलेशन पीरियड के कारण शव वाहन की निशुल्क सेवा नहीं दे पाएंगे।