नाहन, 01 मई : क्या सिरमौर में वेंटिलेटर्स की कमी के कारण लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। यह सवाल इस कारण उठ रहा है, क्योंकि 40 घंटे से भी कम वक्त में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में 8 की मौत हो चुकी है। हालांकि निजी अस्पताल नाहन,पीजीआई चंडीगढ़ सहित नारायणगढ़ अस्पताल सहित ये आंकड़ा 12 का हो चुका है।

वीरवार शाम 5:00 बजे से रात 12:00 बजे के बीच मेडिकल कॉलेज नाहन में तीन की मौत हुई। इसके अलावा सराहां कोविड-19 सेंटर में दो की मौत की जानकारी मिली थी। वहीं अब शनिवार सुबह (2 बजे तक) सराहां कोविड-19 में दो लोगों की मौत की जानकारी है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मौतों का आंकड़ा वेंटिलेटर की कमी के कारण बढ़ने लगा है, क्योंकि ऑक्सीजन का संकट नहीं है। क्रिटिकल स्थिति में कोविड-19 मरीजों को वेंटिलेटर के अलावा डॉक्टरों की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
हालांकि नाहन के एक निजी अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन अब तक सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक भी वेंटिलेटर क्रियाशील नहीं है। ऐसे में मरीजों की मौत की वजह एडवांस मेडिकल सुविधा मानी जा रही है। बता दे कि निजी अस्पताल में भी वेंटिलेटर करीब- करीब फुल हो चुके है।
स्वास्थ्य विभाग इस बात का भी तर्क दे चुका है कि आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी कोई कमी नहीं है, लेकिन बढ़ता मौतों का आंकड़ा हर किसी को डरा रहा है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को तीमारदारों ने मुख्यमंत्री के सामने भी इस बात का खुलासा किया था कि एक भी वेंटिलेटर नहीं चल रहे है। दाखिल कई मरीजों का ऑक्सीजन लेवल काफी कम है। रहा अब सिरमौर में सरकार पांवटा साहिब व नाहन में निजी अस्पतालों की सेवाएं लेने की भी तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि नाहन में करीब 25 वेंटिलेटर लगभग 9 महीनों से धूल फांक रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने नाहन प्रवास के दौरान सारी स्थिति खुद देखने के बावजूद यह कहना मुनासिब नहीं समझा की जांच करवाई जाएगी या जल्द ही वेंटीलेटर क्रियाशील होंगे। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ये भी दावा किया था कि 30 अप्रैल को ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के लिए टीम आ रही है। दीगर है कि बगैर ऑक्सीजन प्लांट के वेंटिलेटर नहीं चलाए जा सकते हैं।
आरोप यह भी है कि जान-बूझकर वेंटीलेटर्स को क्रियाशील नहीं किया जा रहा, ताकि मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 के बोझ से बचाया जा सके। हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि सरकार जिला परिषद भवन या फिर डिग्री कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों को रखने की योजना बना रही है। सवाल ये भी उठता है कि मेडिकल कॉलेज को ही क्यों कोविड-19 अस्पताल घोषित करने में संकोच किया जा रहा है। कोई भी ओपीडी सामान्य नहीं चल रही है। ऑपरेशन स्थगित किए जा चुके हैं।
उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी केके पराशर ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से कहा कि ये ठीक है कि सराहां में वेंटिलेटर स्पोर्ट नहीं है। क्रिटिकल मरीजों को आईजीएमसी रैफर किया जाता है। इस स्तर पर वेंटीलेटर की कमी को मौत की वजह मानना सही नहीं है। मरीज की पूरी हिस्ट्री व ड्यूटी पर रहे डॉक्टर की स्टेटमेंट इत्यादि के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।