कई फुट ऊंचे झरने के उदगम स्थल से रस्सियों से बांध कर निकाला गया बैल
कुल्लू, 29 अप्रैल : थोड़ा भरोसा करना कठिन होगा, लेकिन ये हकीकत है कि सात दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन की बदौलत एक बैल को नया जीवन हासिल हुआ है।

धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण के जै नाला के समीप खाई में गिरे एक बैल को लिटल रेवेल एडवेंचर सर्च एंड रेस्क्यू टीम ने सात दिनों के लगातार प्रयास के बाद नवजीवन देने में सफलता हासिल की है। ये भी हो सकता कि राज्य में किसी बेजुबान को बचाने के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन हो।
खास बात ये भी है एक सपाट झरने के उदगम स्थल से बैल को निकालने के दौरान सदस्यों को पांव फिसलने का भी खतरा था। दल के सदस्यों का कहना है कि यह रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे कठिन था। टीम निदेशक शिवा राम का कहना है कि कसोल से करीब 4 किलोमीटर पहले जै नाला में सात दिन पहले एक बैल गिर गया था, जिसे टीम ने रेस्क्यू करने के प्रयास किए। लेकिन बैल ऐसी जगह गिरा था जहां से रेस्क्यू करना बहुत ही मुश्किल हो गया था।
टीम ने हार नहीं मानी। उन्होंने बताया कि रैस्क्यू अभियान में कटागला, कसोल के लोगों के साथ-साथ मनाली एटीओए की टीम ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने बताया कि अब तक उनकी रेस्क्यू टीम 15 गाय को सुरक्षित रेस्क्यू कर चुकी है लेकिन यह रेस्क्यू सबसे कठिन था। रेस्क्यू टीम के सदस्य महेन्द्र सिंह, तेजस्वी सिंह, देव, चेत राम, जोहन, शिवम, केशव राम, ढाले राम, कमलेश, खुशाल, हरिकृष्ण, एटीओए मनाली की टीम के सदस्य जोगी, बोनी, कुबेर, सुरेश, खीमी राम के अलावा अन्य स्थानीय रवि, धीवान, नीमत राम, गोपाल आदि शामिल थे।
ऐसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
रेस्क्यू ऑपरेशन के सदस्यों ने बताया कि जब बैल खाई में गिरा था उन दिनों घाटी में बारिश और बर्फबारी हो रही थी। इस कारण उसे रेस्क्यू नहीं किया जा सका। ऐसे में बैल को जिंदा रखने के लिए उन्होंने घरों से घास लाया और पहाड़ी से बैल के नजदीक फैंक दिया। इसके अलावा कुछ पेड़ों की टहनिया तोड़कर हरा घास फेंका, जिस कारण वह इतने दिनों तक जिंदा रहा।
बैल को खाई से निकालने के लिए रेस्क्यू दल के सदस्य हर रोज घटनास्थल पर जाते, लेकिन कोई भी योजना सफल नहीं हो रही थी। लेकिन अंत में स्थानीय लोगों की मदद और मनाली के एक दल की मदद से बैल को सुरक्षित निकाल ही लिया गया।