शिमला, 28 अप्रैल : बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्या मामले में आरोपित नीलू को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। कोरोना महामारी के बीच बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जिला सेशन जज राजीव भारद्वाज की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज ने आरोपी नीलू को दोषी करार दिया। नीलू की सज़ा पर 11 मई को न्यायालय में सुनवाई होगी। शिमला के सेशन कोर्ट में चार वर्ष पुराने इस मामले की सुनवाई इन दिनों चल रही है।

सेशन जज राजीव भारद्वाज की अदालत में बीते 16 अप्रैल को आरोपी नीलू को पेश किया गया। इस दौरान सीबीआई की सैंपलिंग को लेकर दोनों पक्षों के वकीलों के बीच बहस हुई। बचाव पक्ष के वकील एम एस ठाकुर ने कहा कि सीबीआई द्वारा लिए गए सैंपल संदेह के घेरे में हैं।
सीबीआई ने नीलू के सैंपल हिरासत में लेने से पहले ही ले लिए थे और इसकी सील भी सीबीआई ने अपने पास ही रखी है। बचाव पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि इस मामले में किसी अन्य को बचाने के लिए सीबीआई द्वारा नीलू को फसाया जा रहा है।
दूसरी तरफ सीबीआई के वकील ने दलील दी कि नीलू के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट बिल्कुल सही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज ने मामले की सुनवाई बुधवार यानी 28 अप्रैल को तय की थी। माना जा रहा है कि इस तारीख को कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है।
सीबीआई ने गुडिय़ा मामले में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर नीलू को दुष्कर्म व हत्या के आरोप मेें 13 अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया था। सीबीआई का दावाहै कि चिरानी का काम करने वाले नीलू ने गुडिय़ा से दरिंदगी की थी। आरोपी नीलू के खिलाफ सीबीआई ने जुलाई 2018 में कोर्ट में चालान पेश हुआ था।
गुडिय़ा के परिजन सहित कुछ स्वयमसेवी संस्थाएं सीबीआई की जांच पर सवाल उठा चुके हैं। सीबीआई जांच से नाखुश गुडिय़ा परिवार ने बीते दिनों हिमाचलहाई कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दाखिल की है। गुडिय़ा के परिजनों ने हाईकोर्ट के किसी सीटिंग जज से मामले की जांच करवाने की मांग की है।दरअसल कोटखाई क्षेत्र में चार जुलाई 2017 को स्कूल से घर लौटने के बाद गुडिय़ा अचानक लापता हो गई थी और छह जुलाई की सुबह उसका शव बरामद हुआ था। इस घटना से पूरे प्रदेश में हडक़प मच गया था।
पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन कोटखाई पुलिस लॉकअप में एक आरोपी सूरज की कस्टोडियल मौत हो गई थी। इसके बाद लोगों के दबाव के बीच यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। इसके लिए राज्य सरकार खुद हाईकोर्ट गई थी और वहां अर्जी लगाकर मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया था। इसके बाद सीबीआई ने सूरज की हत्या के आरोप में प्रदेश पुलिस के आईजी जहूर जैदी समेत आठ पुलिसकर्मी को गिरफ्तार किया था।