हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान : धार्मिक भावनाओं की दृष्टि से ऐतिहासिक कुपवी विशु मंगलवार प्राचीन परंपरा के अनुसार देवताओं के आगमन के बीच संपन्न हो गया है। परगना चेहता के चार देवताओं की छड़ी में जो क्षेत्र के जाने-माने थान कुलिष्ठ के रूप में पहचान रखते है। आस्था के नाम से इन देवताओं को 2 दिन लगातार इस विशु मेले में दर्शनों के लिए लाया जाता है। इन की भव्य पूजा अर्चना करके कुपवी मंदिर में प्रवेश किया जाता है।

चार खुंदों की प्रजाति का होता है विशु में समागम वाद्य यंत्रों की धुन पर करते है ठोडा गान नृत्य
पारम्परिक वाद्य यंत्रों, ढोल नगाड़ों की थाप पर कुपवी विशु का आगमन और समाधान धार्मिक भावनाओं के मध्यनजर निभाया जाता है। इस आयोजन में परगने के जाने-माने देवता सम्मिलित होते है। ग्राम संत के शिरगुल देवता, कोठी आणोग के शिरगुल देवता, कांडा बनाह के शिरगुल देवता व कुलग के थान देवता शिरगुल महाराज इत्यादि, देवताओं का विधिवत परंपरा के साथ इस विशु मेले में आगमन होता है और यहां उमड़े जनसैलाब के दर्शनों के साथ यह देवता शिरकत अपनी प्रजा को दिव्य आशिर्वाद प्रदान करते हैं।
कोरोना संक्रमण के कारण 2 वर्ष से नहीं हुआ विशु का आगाज, निभाई जा रही है परंपरा
ऐतिहासिक विशु मेला कुपवी की पावन पवित्र स्थल पर विराजमान कोपेश्वर मंदिर के प्रांगण में आयोजित होता है और विभिन्न पंचायतों के ग्रामीण इलाकों के हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी आस्था इस मेले में रखते हैं और अपनी यात्रा मंगलमय बनाते है। मेले के दौरान विभिन्न राज्यों से व्यापारियों का आना एक विशेष महानता, महत्व रखता है, लेकिन विगत वर्ष कोविड-19 के दौर से गुजरता पूरा विश्व और भारत में सभी प्रकार के मेलों और धार्मिक आयोजनों में ग्रहण लग गया है और कुपवी विशु मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया। केवल परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। मेला पूर्णत प्रतिबंधित है।
क्षेत्र के जाने माने देवता के गुर बताए जाने पर परगना चेहता के प्रसिद्ध नंबरदारों व देव कारदारों ने विशु के आगाज की परंपरा निभाई और कोरोना संक्रमण के चलते मुख्य रूप से विशु को आयोजित न करने का फैसला लिया और देवताओं से पूजा अर्चना के बाद क्षेत्र के लोगों को कोरोना मुक्त होने की प्रार्थना की।