नाहन, 27 अप्रैल : डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज में कोविड के मरीजों को दाखिल करने से साफ तौर पर इंकार किया जा रहा है। वेंटिलेटर तो दूर की बात है, ऑक्सीजन तक मुहैया करवाने के लिए हामी नहीं भरी जा रही। गनीमत इस बात की है कि परिवार की स्थिति ठीक है। साथ ही पंजाब में मेडिकल प्रोफैशन से जुड़े लोग भी पारिवारिक सदस्य हैं। यही वजह है कि निजी स्कूल की शिक्षिका शमीम सैय्यद घर पर ही अपने पति सलीम अहमद का उपचार कर पा रही है। ऐसा नहीं है कि परिवार हरेक चिकित्सक की कार्यशैली से असंतुष्ट है, बल्कि डाॅ. प्रवेश अग्रवाल के फोन पर मिले मार्गदर्शन पर धन्यवादी भी है।

ये है मामला…
शुक्रवार को नाहन फाउंडरी से रिटायर सलीम अहमद की तबीयत बिगड़ती है। बुखार के साथ-साथ कोविड के लक्षण महसूस होते हैं। निजी अस्पताल में रिपोर्ट पाॅजिटिव आती है। ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के साथ-साथ 104 डिग्री बुखार पर परिवार उन्हें मेडिकल काॅलेज ले जाता है। कथित कोविड वार्ड में एक स्टाफ नर्स फोन पर फिजिशियन से संपर्क करती है।
स्पीकर के जरिए बगैर मरीज को देखे ही डाॅक्टर द्वारा उन्हें सराहां ले जाने की बात कह दी जाती है। चूंकि मरीज की हालत 108 में सराहां ले जाने की नहीं थी, लिहाजा जान-पहचान वाले चिकित्सकों से संपर्क किया जाता है। आखिर में ये फैसला लिया जाता है कि मरीज को ऑक्सीजन की स्पोर्ट के साथ घर पर ही रखा जाएगा। सोमवार की रात भी सलीम अहमद का ऑक्सीजन लैवल 68 तक आ गया था। रात भर जाग कर उन्हें ऑक्सीजन दी जाती रही।
ये बोली शिक्षिका पत्नी…
एमबीएम न्यूज से बातचीत में निजी स्कूल में कार्यरत शिक्षिका शमीम सैय्यद ने कहा कि बडी मुश्किल से हरियाणा के यमुनानगर से 12 हजार में सिलेंडर का इंतजाम हो पाया। इसके बाद फीटिंग करने वाले ने 4 हजार की मांग की तो एक ने कहा कि वो ऑक्सीजन सिलेंडर हैंडल करने के लिए आ सकता है, बशर्ते अनुबंध कम से कम 15 दिन का हो। साथ ही एक दिन की दिहाड़ी की डिमांड 1500 रुपए की गई। उन्होंने कहा कि वो कालाअंब में उस उद्योग की भी शुक्रगुजार हैं, जिनके द्वारा निशुल्क सिलेंडर की रि फीलिंग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि लोगों को अपने स्तर पर ही सचेत रहना होगा, क्योंकि मेडिकल काॅलज में डाॅक्टर मरीजों की बजाय अपने बचाव में ही लगे हुए हैं। वो सीधे कोविड रोगियों के संपर्क में आने से बच रहे हैं। उनका ये भी आरोप था कि जानबूझ कर मेडिकल काॅलेज में कोविड मरीजों को न दाखिल करने की साजिश रची जा रही है।
ये सवाल जस के तस…
निजी अस्पताल सीमित संसाधनों में क्रिटिकल मरीजों को उपचार दे रहा है। मेडिकल काॅलेज में चिकित्सकों सहित स्टाफ नर्सिज की बड़ी फौज है। कोविड वार्ड को क्यों प्राथमिकता नहीं दी जा रही। इसके लिए मेडिकल काॅलेज में संबंधित विभागों की ओपीडी का समय कम किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर नेरचैक मेडिकल काॅलेज में सामान्य ओपीडी को हाल ही में दोबारा बंद किया गया है।
इस ताजा मामले के बाद ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इस बात की जांच करवाएगी कि कहीं जानबूझ कर तो पहले सराहां को कोविड डेडिकेटिड हैल्थ सैंटर बनाया गया, ताकि मरीजों को रैफर ही किया जाए। उल्लेखनीय है कि मेडिकल काॅलेज के एमएस ने रविवार को 5 वेंटिलेटर इंस्टाॅल होने का बयान दिया था। वहीं सोमवार को पोल उस समय खुल गई, जब पता चला कि कोई सुविधा शुरू नहीं हुई है। एक भी मरीज दाखिल नहीं किया गया है।
क्या मरने के लिए दिया गया है छोड़…
सरकारी सिस्टम ने नाहन के निजी अस्पताल को कोविड वार्ड शुरू करने पर नोटिस जारी किया है। साथ ही ये निर्देश भी दिए हैं कि मरीजों को मेडिकल काॅलेज शिफ्ट किया जाए। अब क्या सरकार ये चाहती है कि निजी अस्पताल व सरकारी मेडिकल काॅलेज के बीच ही मरीज दम तोड़ दें।
पक्ष उपलब्ध नहीं…
इस मसले को लेकर मेडिकल काॅलेज का पक्ष उपलब्ध नहीं है। मिलने पर प्रकाशित किया जाएगा। अमूमन मेडिकल काॅलेज प्रशासन द्वारा विवाद पैदा होने पर चुप्पी साधने में ही भलाई समझी जाती है।
बिंदल ने किया दौरा…
सोमवार को मेडिकल काॅलेज प्रशासन की पोल खुलने के बाद हडकंप मच गया। एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर का ये भी असर हुआ है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल मंगलवार दोपहर से पहले ही स्थिति का जायजा लेने पहुंच गए। उनके मुताबिक वार्ड में आज 5 नए रोगी दाखिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक उपकरणों को स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके साथ ही मेडिकल काॅलेज में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट की स्थापना भी की जा रही है। जिसमें डी टाइप सिलेंडर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध करवाए गए हैं।