मंडी, 26 अप्रैल /वीरेंद्र भारद्वाज: कोरोना काल में मंडी के परस राम सैनी और परिवार ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। इकलौते बेटे की शादी के सारे अरमानों को छोड़ते हुए परिवार ने सूक्ष्म रूप में शादी समारोह किया कि वर-वधु को माता-पिता ने वर्चुअल आशीवार्द दिया।

महामारी के इस दौर में सरकार ने शादियों पर पाबंदियां तो नहीं लगाई हैं लेकिन उसमें जुटने वाली भीड़ को कम करने की बंदिशें जरूर लगाई हैं। बावजूद इसके लोग भीड़ जुटाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
सीनियर सेकेंडरी स्कूल( बॉयज) के प्रधानाचार्य परस राम सैनी के इकलौते बेटे प्रांशुल सैनी की शादी की तारीख फरवरी महीने में ही तय हो गई थी। पिता के अपने बेटे की शादी को लेकर कई अरमान थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसा कहर बरपाना शुरू किया कि शादियां सूक्ष्म रूप में होने लगी।
बारात मंडी से गुजरात के अहमदाबाद जानी थी। ऐसे में परिवार ने बारात में केवल दुल्हन लाने के लिए सिर्फ दूल्हे को ही भेजना उचित समझा। दूल्हा प्रांशुल हवाई यात्रा से अहमदाबाद पहुंचा और सोमवार को मनोवी के साथ सात फेरे लिए। प्रांशुल के माता-पिता ने अपने बेटे की शादी में वर्चुअली भाग लिया और घर बैठे अहमदाबाद में जारी शादी समारोह को देखा।
परस राम सैनी ने बताया कि उन्हें बेटे की शादी में शामिल न होने का मलाल तो है लेकिन शादी का जो मूल महत्व है उसके पूरा होने की खुशी भी है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि भीड़ इकट्ठी करके ही शादियां की जाए, जब समाज पर आफत हो तो ऐसे समारोह को टालना ही बेहतर है।
माता -पिता का इकलौता बेटा
प्रांशुल अपने माता-पिता का इकलौता चिराग है। बड़ी बहन की शादी वर्ष 2012 में हो चुकी है। प्रांशुल सैनी ने आईआईटी गांधीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद जर्मनी और अमेरिका में रिसर्च की। गुजरात के अहमदाबाद में नौकरी के दौरान उनकी मुलाकात मनोवी से हुई और दोनों ने शादी करने का निर्णय लिया।
वहीं उनके पिता परस राम सैनी और माता नीरा सैनी ने अपने घर पर वर्चुअली माध्यम से शादी समारोह में भाग लिया और अन्य रिश्तेदार भी इस शादी में अपने घरों से वर्चुअली ही जुड़े और वर-वधु को आशीर्वाद दिए।प्रांशुल सैनी अपनी जन्मस्थली में एक निजी कंपनी का संचालन कर रहे हैं।
प्रांशुल सैनी और उनके पिता परस राम सैनी ने इस महामारी के दौर में समाज को जो संदेश देने का प्रयास किया है वो तारीफ-ए-काबिल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज इससे सीख लेगा और महामारी के इस दौर में अधिक से अधिक सावधानियां बरतकर कोरोना के खिलाफ जारी जंग में अपना अहम योगदान देगा।