हमीरपुर, 23 अप्रैल : हमीरपुर में कोरोना का भयावक रूप देखने को मिल रहा है। कोरोना संक्रमण से मां और बेटे की मौत हो गई। मां के शव को अंतिम संस्कार के लिए 17 घंटे का इंतजार करना पड़ा, जबकि बेटे के शव का प्रशासन ने दाह संस्कार किया। नादौन में कोरोना संक्रमण में महिला का शव ग्रामीणों के विरोध के चलते 17 घंटे तक घर में ही पड़ा रहा और अंतिम संस्कार में बड़ी देर हुई। इस महिला के बेटे की भी वीरवार रात को कोरोना संक्रमण के कारण ही मौत हो गई है, जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए भी ग्रामीणों ने हामी नहीं भरी और प्रशासन ने नादौन में ब्यास नदी किनारे व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार किया है।

बताया जा रहा है कि लोगों ने कोरोना संक्रमित महिला के शव को गांव के आसपास दाह संस्का से मना किया। बाद में शव को कुनाह खड्ड किनारे अंतिम संस्कार का प्रयास किया गया लेकिन साथ लगते गांव के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। बाद में महिला के शव का अंतिम संस्कार गांव के नजदीक श्मशान घाट पर किया गया। ग्राम पंचायत गलोड़ खास के दो गांवों में 24 घंटों के भीतर कोविड-19 से दो महिलाओं और एक व्यक्ति की मौत के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत गलोड़ खास के गांव गुर्याह में बुधवार रात्रि 11 बजे 60 वर्षीय महिला की अचानक मौत हो गई । महिला का बेटा कुछ दिन पहले ही दिल्ली से घर लौटा था। रात को जैसे ही उसकी माता का देहांत हो गया तो गांववासी भयभीत हो गए। इसकी सूचना प्रशासन को दी गई। गुरुवार को दोनों के सैंपल लिए गए तो महिला और उसका बेटा पॉजिटिव निकला। कोविड-19 की वजह से मौत हो जाने पर मृतक का अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो गया।
आपको बता दें कि अंतिम संस्कार के लिए कुनाह खड्ड के पास जगह को चिन्हित किया गया था, लेकिन नाल्टी और ब्राहलड़ी क्षेत्र के लोगों के विरोध किए जाने से समस्या गंभीर बन गई है। 17 घंटे तक शव घर पर पड़ा रहा। अंत में गुर्याह गांव की महिला के शव को पैतृक श्मशान घाट में संस्कार करने के लिए ले जाया गया, जबकि, बुधवीं गांव की महिला के शव का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया।
गलोड़ खास पंचायत के प्रधान संजीव शर्मा का कहना है कि खड्ड किनारे शव को अंतिम संस्कार का ग्रामीणों ने विरोध किया, जिसके चलते पैतृक गांव में महिला का अंतिम संस्कार किया गया। उनका कहना है कि इस महिला के बेटे की भी कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई है, जिसका अंतिम संस्कार प्रशासन ने ही नादौन में किया है।
पुष्टि करते हुए एसडीएम नादौन विजय धीमान ने बताया कि शव के अंतिम संस्कार का ग्रामीणों ने विरोध किया उपरांत उपरोक्त महिला के बेटे के शव का संस्कार नादौन प्रशासन की देखरेख में किया गया।
संवेदनशील रवैया करें अख्तियार…
इस घटना ने हर किसी को झिंझोड़ कर रख दिया है। हिमाचल में इस घटना ने ये सवाल भी उठाया है कि क्या प्रदेशवासी इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि बेवजह ही भयभीत होकर मानवता भूल रहे हैं। प्रोटोकाॅल के तहत प्रशासन ही अपने स्तर पर अंतिम संस्कार करवाता है। बाकायदा हर सावधानी को बरता जाता है। इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि ऐसी आपदा किसी भी परिवार पर आ सकती है। सोचिए, उस परिवार पर क्या गुजर रही होगी जिसने एक साथ दो को खो दिया। फिर अंतिम संस्कार में उन अपनों ने ही विरोध जता दिया, जो रोजाना मिलने जुलने वाले थे। हरेक से ये अपील है कि संवेदनशील होकर आपदा में एक-दूसरे के दुख के सांझेदार बनें।