नाहन, 23 अप्रैल : मेकशिफ्ट अस्पताल को बाय- बाय कर चुके सिरमौर में धूल फांक रहे 25 वेंटीलेटर्स को सांसो की जरूरत है। इनकी सांसे ही अनमोल जीवन बचाने में कारगर साबित हो सकती हैं। डॉ वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज इस बात का तर्क तो दे रहा है कि इन्हें इंस्टॉल करने की भरपूर कोशिश की जा रही है, लेकिन कोई गारंटी नहीं है। इसके पीछे की वजह स्टाफ की कमी को ही बताया जा रहा है।

कोविड-19 की दूसरी लहर में जिस तरह से कहर बरप रहा है, उसके मद्देनजर तो इन वेंटीलेटर्स को समय रहते इंस्टॉल कर लिया जाना चाहिए था। वेंटीलेटर्स को इंस्टॉल न होने पर शहर के रहने वाले अजय कांत अग्रवाल ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई है।
उल्लेखनीय है कि कई महीने पहले राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में नाहन में मेक शिफ्ट अस्पताल को स्थापित करने की भी मंजूरी दी थी। लेकिन प्रशासन इसे स्थापित करने के लिए जमीन नहीं तलाश पाया। इसी कारण मेक शिफ्ट अस्पताल को बाय-बाय हो गई। बता दें कि इस समय सिरमौर में कोरोना संक्रमित के एक्टिव मामलों का आंकड़ा 1000 पार कर चुका है। इसके अलावा मौतों का आंकड़ा भी 50 के करीब पहुंच चुका है। बीती रात भी तीन व्यक्तियों की मौत की सूचना है।
मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में क्रिटिकल स्थिति में मरीजों को दाखिल करने की कोई सुविधा नहीं है। लिहाजा, उन्हें तत्काल ही आईजीएमसी रैफर कर दिया जाता है। हालांकि शहर में एक निजी अस्पताल द्वारा क्रिटिकल हालत में मरीजों को वेंटिलेटर के सुविधा दी जा रही है। मगर सवाल यह उठता है कि क्या धूल फांक रहे 25 वेंटीलेटर्स को इंस्टॉल करने की रणनीति सरकार के पास अब तक भी मौजूद नहीं है।
एक अच्छी बात यह है कि कोविड-19 आईसोलेशन वार्ड में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो चुका है, लेकिन इसका भी फंक्शनल होना बाकी है। कुछ सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने हिमाचल के स्वास्थ्य विभाग से वेंटिलेटर को वापस मंगवाने को लेकर ईमेल किया था। गनीमत इस बात की है कि सिरमौर को मिले 25 वेंटीलेटर्स अब तक वापस नहीं गए हैं।
जानकारों को इस बात का खतरा है कि कहीं मेकशिफ्ट अस्पताल की तरह इन वेंटीलेटर्स को भी किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट न कर दिया जाए। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का केवल एक ही रोना है कि स्टाफ नहीं है। हाल ही में मेडिकल कॉलेज में 25 स्टाफ नर्सिज की नियुक्ति को लेकर भी निर्णय हुआ था।
एक सुकून देने वाली बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग के पास सिरमौर में आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल के लिए चंद रोज पहले ही रेमेडिसविर इंजेक्शन की खेप पहुंची थी। विभाग को 500 इंजेक्शन उपलब्ध करवाए गए थे। मगर इन इंजेक्शन का इस्तेमाल केवल निजी अस्पताल में ही हो पा रहा है, क्योंकि सरकारी सिस्टम में अब तक न तो आईसीयू की सुविधा है और न ही वेंटिलेटर उपलब्ध हैं।
उधर एमबीएम न्यूज से बातचीत में मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. कौशिक ने कहा कि 25 वेंटिलेटर को इंस्टॉल करने की भरसक कोशिश की जा रही है। स्टाफ की कमी के कारण इन्हें इंस्टॉल नहीं किया जा सका रहा है। निदेशालय को स्टाफ की नियुक्ति के बारे आग्रह किया गया है। उन्होंने बताया कि आइसोलेशन वार्ड में ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित कर लिया गया है, जिसे जल्द ही फंक्शनल कर दिया जाएगा। उन्होंने माना कि लंबे अरसे से रखे वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं हो पाया है।