शिमला, 19 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सिकंदर कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आज राज्यपाल के प्रधान सचिव के अलावा विवि के कुलपति डॉक्टर सिकंदर कुमार और विवि के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने इनसे कुलपति की नियुक्ति पर जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश एल.नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने ये आदेश धर्म पाल सिंह द्वारा दायर याचिका पर दिए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि डॉ. सिकंदर कुमार की नियुक्ति यूजीसी 2010 के विनियमों के अनुसार नहीं की गई है। नियमों में आवश्यक है कि कुलपति के रूप में नियुक्त होने वाले व्यक्ति के पास विश्वविद्यालय प्रणाली में प्रोफेसर के रूप में 10 वर्ष का अनुभव या समकक्ष पद पर 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि प्रतिवादी कुलपति को यूजीसी की ओर से जारी रेगुलेशन के तहत 19 मार्च, 2011 को प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया। 29 अगस्त 2017 को एचपीयू के वीसी के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। प्रतिवादी ने चयन कमेटी को गुमराह करते हुए अपने आवेदन में अनुभव के बारे में गलत तथ्य दिए। प्रतिवादी ने आवेदन में छह वर्ष और चार महीनों का अनुभव दिया। 1 जनवरी, 2009 से अपने आपको प्रोफेसर बताया, जबकि उन्हें 19 मार्च, 2011 को प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया था।
याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने कुलपति के पद के लिए 29 अगस्त 2017 और 07 जनवरी 2018 को विज्ञापन जारी किए और उसके बाद 30.जून 2018 को राज्यपाल के सचिवालय ने 20.जुलाई 2018 तक कुलपति पद के लिए आवेदन करने की तिथि बढ़ा दी। उन्होंने आरोप लगाया है कि सिंकन्दर ने 16.07.2018 को उक्त पद के लिए आवेदन किया था और उन्हें विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था।
प्रार्थी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाईं है कि प्रतिवादी को आदेश दिए जाए कि वह एचपीयू के वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए अपनी योग्यता अदालत को बताये और यदि उसकी योग्यता यूजीसी के रेगुलेशन के विपरीत पाई जाती है तो उस स्थिति में उसकी नियुक्ति रद्द की जाए। मामले की सुनवाई 20 मई को निर्धारित की गई है।