शिमला, 17 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में जबरदस्त सूखे के हालात हैं। सूखे के कारण 1 लाख 46 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित हुई है। बिलासपुर जिले में सबसे ज्यादा फसलें बर्बाद हुई हैं। इसके अलावा सैंकड़ों पेयजल योजनाओं को भी क्षति पहुंची है। सूखे से प्रतिकूल हो रहे हालात को लेकर प्रदेश सरकार गम्भीर हो गई है।
मुख्य सचिव अनिल खाची ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कृषि व बागवानी विभागों को कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपायुक्तों से बातचीत करते हुए कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों को निर्देश दिए कि स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाए।
मुख्य सचिव ने बताया कि जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कम वर्षा के कारण प्रदेश के कुल 413134 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 146508 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है जिससे 10820.57 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। सर्वाधिक नुकसान बिलासपुर जिले में हुआ है जहां कुल 28020 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 20280 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इस प्रकार जिले में 3259.37 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। चम्बा जिले में 3571 हेक्टेयर फसल भूमि को नुकसान हुआ है जिससे 815.58 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है। इसी प्रकार अन्य जिलों में भी फसल क्षेत्र को नुकसान होने की जानकारी प्राप्त हुई है।
अनिल खाची ने कहा कि कम वर्षा होने से जल शक्ति विभाग की भी विभिन्न योजनाएं प्रभावित हुई हैं। विभाग की कुल 9526 योजनाओं में से 401 योजनाओं को 25 प्रतिशत तक, 197 योजनाओं को 25 से 50 प्रतिशत तक, 87 योजनाओं को 50 से 75 प्रतिशत तक जबकि 28 योजनाओं को 75 प्रतिशत से अधिक क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जल शक्ति विभाग को संबंधित क्षेत्रों में जल आपूर्तिकर्ता चिन्हित कर परिवहन की दरें निर्धारित करनी चाहिए ताकि आवश्यकता होने पर प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति की जा सके।
उन्होंने हैंड पम्पों से जल निष्कासन को रोकने के लिए इनकी मुरम्मत करने और सभी पारंपरिक व निजी जल स्रोत के उचित रख-रखाव के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रतों की समुचित सफाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्य में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई जाए। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जल संरक्षण के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में किसी भी जिले में पशु चारे की कमी नहीं है लेकिन पशुपालन विभाग को अभी से लेकर सभी प्रकार की तैयारियां कर लेनी चाहिए ताकि किसानों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े। पशु रोगों की रोकथाम के लिए उन्होंने कार्यशील मोबाइल वैटेनेरी यूनिट तैयार रखने के निर्देश देते हुए कहा कि मृत पशुओं दबाने के लिए उचित स्थल निर्धारित किए जाएं।
उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों के स्तर पर आपातकालीन मेडिकल टीमें गठित करने के निर्देश दिए ताकि जल जनित रोगों के कारण किसी भी प्रकार की महामारी होने की स्थिति से निपटा जा सके।