नाहन, 16 अप्रैल : एक अरसे से हिमाचल प्रदेश में युवाओं द्वारा आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम उठाने का सिलसिला चल रहा है। संभव है कि कोरोना काल में युवा हताश, निराश एवं अवसादित महसूस कर रहे होंगे। समय एवं तिथि के अनुकूल खुद को जरा भी नहीं ढाल पा रहे। नशे का सहारा लेकर आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम उठाकर स्वयं को काल का ग्रास बना रहे हैं।
इसी बात से आहत युवाओं की जोड़ी शिवांश आर्यकांत व पवन विशवन ने युवाओं को उनकी भाषा में ही एक गीत के जरिए जागरूक करने का प्रयास किया है। इस गीत का पहला हिस्सा नौहराधार क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले पवन विशवन ने लिखा है, जबकि दूसरा हिस्सा प्रदेश निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार की जन्म भूमि से ताल्लुक रखने वाले शिवांश ने कलमबद्ध किया है।
इस गीत की विशेषता यह है कि इस गाने के प्रथम भाग में आत्मघाती स्वयं को इतना मजबूर पाता है कि आत्महत्या कर लेता है। दूसरे भाग में संकल्पना की गई है कि मरने के बाद आत्मघाती की आत्मा किस प्रकार पछतावा करती है। युवाओं ने अपने अभिनय के माध्यम से अपने मन की बात को बताने का प्रयास किया है।
पवन व शिवांश का कहना है कि बुरे वक्त में हर एक शख्स खुद को लाचार महसूस करता है। यह गीत अवश्य ही युवाओं को रोमांचित कर उन में नया जोश भरेगा तथा प्रेरित करेगा कि आत्महत्या न करें, क्योंकि आत्मघाती की आत्मा खुद को कभी माफ नहीं कर पाती। इस गीत का टाइटल भी मृत्यु ही रखा गया है।
बता दें कि इस रैप का मूल सूत्रधार शिवांश इस समय सोलन डिग्री काॅलेज में मनोविज्ञान विषय का छात्र है, जबकि पवन विशवन अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रहा है।