शिमला/नाहन, 12 अप्रैल : पूर्व जिला परिषद अध्यक्षा व बीजेपी से बगावत कर विधानसभा का उप चुनाव लड़ने वाली दयाल प्यारी की कांग्रेस में एंट्री को लेकर भाजपा दबी जुबान में कह रही थी, मुसाफिर समर्थकों को रास नहीं आएगा कांग्रेस आलाकमान का फैसला। आखिर, सोमवार को ठीक वही हुआ, जिसे सोच कर भाजपा रोमांचित साथ ही उत्साहित थी।
कांग्रेस के दिग्गज नेता मुसाफिर के सैंकड़ों समर्थकों ने दयाल प्यारी की कांग्रेस में एंट्री के तरीके को लेकर सवाल उठा दिए हैं। पच्छाद से शिमला तक इस मसले पर जमकर हलचल हुई। पच्छाद मंडल के पूर्व अध्यक्ष रहे व सम्मानजनक नेता देवेंद्र शास्त्री ने तो सीधे-सीधे ही ये कह दिया कि ऐसे हालात में कांग्रेस आलाकमान ही पच्छाद में कांग्रेस को चलाएगी।
7 बार विधायक बन चुके गंगू राम मुसाफिर लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं। हालांकि उप चुनाव में उम्मीद थी कि मुसाफिर को सहानुभूति वोट मिलेंगे। कुछ हद तक हुआ भी ऐसा, लेकिन सहानुभूति वोटस को जीत में नहीं तब्दील किया जा सका। शिमला में पार्टी कार्यालय में जुटे मुसाफिर समर्थकों ने दो टूक कहा कि उन्हें लड़की के पार्टी में आने से कोई एतराज नहीं है। अगर एतराज है तो पार्टी में शामिल करने के तरीके से।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि दयाल प्यारी की कांग्रेस में बेहद ही गोपनीय तरीके से 1 अप्रैल की दोपहर डेढ़ बजे दिल्ली में एंट्री हुई थी। ऐसा कांग्रेस ने क्यों किया, इस पर तो अलग-अलग राय हो सकती है, अलबत्ता दो बातें जरूर हैं कि एंट्री से पहले ही पार्टी के भीतर बवाल मच सकता था। साथ ही भाजपा भी एंट्री को रोकने के लिए मशक्कत कर सकती थी।
दीगर है कि दयाल प्यारी ने बीजेपी का भारी दबाव होने के बावजूद भी बगावत करने का साहस जुटाया था। राजधानी में पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस नेता मुसाफिर मीडिया के सामने नहीं आए, लेकिन तजुर्बेकार समर्थक खुलकर अपनी बात कहते नजर आए।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सिरमौर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि चूंकि मामला सिरमौर से ही जुड़ा था, लिहाजा वो भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात के दौरान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने केवल एक ही बात मुख्य तौर पर रखी है। इसमें कहा गया कि जब भी बाहर से किसी को पार्टी में सदस्यता देनी हो तो मंडल स्तर से भी पूछा जाना चाहिए।